प्रति,
केन्द्रीय चुनाव आयुक्त
निर्वाचन सदन, लोधी रोड
नई दिल्ली भारत।
विषय- उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के देवचरा मतदान केन्द्र पर दलित हरी सिंह द्वारा आत्मदाह कर लेने के सन्दर्भ में।
महोदय,
गत सत्रह अप्रैल को बरेली जिले के देवचरा नई बस्ती निवासी दलित हरी सिंह को आम चुनाव में मतदान पर्ची न देने, मतदान केन्द्र पर मतदान से रोकने, बूथ कर्मचारियों, स्थानीय थाना प्रभारी, बीएलओ द्वारा मतदान केन्द्र पर बार-बार अपमानित करने के कारण राम भरोसे इंटर कालेज, मतदान केन्द्र पर आत्मदाह कर लेने का मामला सामने आया। हरी सिंह द्वारा मतदान केन्द्र पर आत्मदाह कर लेने के असल कारणों को जानने तथा तथ्यों की पड़ताल के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों के जांच दल ने देवचरा गांव का दौरा किया और पीडि़त परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी।
जांच के दौरान पता चला कि मतदान केन्द्र पर प्रशासन द्वारा जानबूझ कर दलित समुदाय के लोगों को वोट देने से रोकने के लिए एक साजिश के बतौर उनके इलाके में मतदाता पर्ची नहीं बांटी गई, ताकि किसी खास प्रत्याशी को चुनाव में लाभ पहुंचाया जा सके। मृतक हरी सिंह की पत्नी तारावती ने जांच दल को बताया कि हरी सिंह पिछले तीन साल से मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन इलाके के बीएलओ द्वारा जानबूझ कर उनका मतदाता पहचान पत्र नहीं बनाया जा रहा था। तारावती ने जांच दल को बताया कि वोटर कार्ड बनाने के लिए हरी सिंह से बीएलओ ने चार सौ रुपए लिए थे, तब जाकर हाल ही में उनका मतदाता पहचान पत्र बन सका।
जांच दल को देवचरा नई बस्ती में दलित समुदाय के कई ऐसे लोग मिले, जिन्होंने मतदाता पहचान पत्र न होने की शिकायत की। दलितों के साथ किस तरह वोट देने के दौरान भी अन्याय होता है, इसकी एक बानगी यह है कि हरि सिंह के घर के बगल में रहने वाली एक महिला रेखा ने बताया कि उसे भी मतदाता पर्ची नहीं मिली थी। जब रेखा की जेठानी अपने पति के साथ बिना पर्ची के वोट डालने गईं तो पता चला कि उनका वोट पहले ही डाला जा चुका है। इसी तरह कई ऐसे लोग मिले जिनसे मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए स्थानीय अधिकारियों ने तीन सौ से पांच सौ रुपए तक वसूले थे। जांच दल को देवचरा नई बस्ती के लोगों ने बताया कि उनकी तरह हरी सिंह से भी पैसा लेकर मतदाता पहचान पत्र बनाया था और इस चुनाव में इस मतदाता पहचान पत्र की वैधता को वोट देकर वह जांचना चाहते थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वोट देने के हक के लिए हरि सिंह को आत्मदाह तक करना पड़ा।
देवचरा में जांच के दौरान जेयूसीएस को पता चला कि हरि सिंह को अब तक बीपीएल कार्ड भी नहीं मिला था। घटना के तीन दिन बाद जिला प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से बचने और दोषी प्रशासनिक अधिकारियों को बचाने के लिए बीस अप्रैल को हरी सिंह की पत्नी तारावती के नाम से अन्त्योदय कार्ड जारी किया। आज तक जिला प्रशासन ने इस पीडि़त परिवार को कोई आर्थिक सहायता नहीं प्रदान की।
जांच दल ने पाया कि एक तरफ सरकार सबको वोट देने के लिए प्रोत्साहित करने के नाम पर लोगों से जहां जरूर मतदान करने की अपील करती है, वहीं बूथ लेवल अफसर दलित समुदाय के लोगों को किसी भी तरह वोट नहीं डालने देने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं। प्रशासन के कुछ लोग चाहते हैं कि किसी खास जाति के लोगों की राह चुनाव में आसान बनी रहे और उनका ही दबदबा राजनीति में बना रहे। यह किसी समाज को उसके न्यूनतम लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित रखने और लोकतंत्र को कमजोर करने की एक साजिश है तथा उस व्यक्ति के संविधान प्रदत्त मूल अधिकारों का भी गंभीर हनन है।
दलित समुदाय के लोकतांत्रिक व मानवाधिकार हनन के इस गंभीर मसले पर हम मांग करते हैं कि जिस तरह जिला और पुलिस प्रशासन का पूरा अमला मतदान केंद्र पर मौजूद रहा और हरी सिंह जलता रहा, ऐसे में प्रथम दृष्टया दोषी अधिकारयों को गिरफ्तार कर पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच काराई जाए। पीडि़त परिवार को बीस लाख रुपए मुआवजा तथा उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी व बच्चों की शिक्षा की गारंटी की जाए।
दिनांक- 06.05.2014
द्वारा जारी
राघवेन्द्र प्रताप सिंह, शरद जायसवाल, गुफरान सिद्दीकी, लक्ष्मण प्रसाद, शाह आलम, प्रबुद्ध गौतम, हरे राम मिश्र, अनिल यादव, मोहम्मद आरिफ, वरुण, विजय प्रताप, ऋषि कुमार, अवनीश, फैजान मुसन्ना, जुहैर तुराबी।
कार्यकारिणी सदस्य जर्नलिस्ट्स यूनियन फाॅर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस)
लखनऊ उत्तर प्रदेश
संपर्क- द्वारा मोहम्मद शुऐब एडवोकेट
110/46 हरि नाथ बनर्जी स्ट्रीट
लाटूश रोड, नया गांव पूर्व
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
मोबाइल- 07379393876, 09454292339
प्रतिलिपि संलग्नक-
1- महामहिम राष्ट्रपति महोदय
2- प्रधानमंत्री, भारत सरकार
3- मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश शासन
4- अध्यक्ष, अनसूचित जाति जन जाति आयोग, नई दिल्ली
5- अध्यक्ष, अनसूचित जाति जन जाति आयोग, लखनऊ
7- अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार अयोग, नई दिल्ली
8- अध्यक्ष, राज्य मानवाधिकार आयोग, लखनऊ
9- केन्द्रिय चुनाव आयुक्त, नई दिल्ली
10- राज्य चुनाव आयुक्त, लखनऊ
11- डीजीपी, उत्तर प्रदेश पुलिस, लखनऊ
केन्द्रीय चुनाव आयुक्त
निर्वाचन सदन, लोधी रोड
नई दिल्ली भारत।
विषय- उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के देवचरा मतदान केन्द्र पर दलित हरी सिंह द्वारा आत्मदाह कर लेने के सन्दर्भ में।
महोदय,
गत सत्रह अप्रैल को बरेली जिले के देवचरा नई बस्ती निवासी दलित हरी सिंह को आम चुनाव में मतदान पर्ची न देने, मतदान केन्द्र पर मतदान से रोकने, बूथ कर्मचारियों, स्थानीय थाना प्रभारी, बीएलओ द्वारा मतदान केन्द्र पर बार-बार अपमानित करने के कारण राम भरोसे इंटर कालेज, मतदान केन्द्र पर आत्मदाह कर लेने का मामला सामने आया। हरी सिंह द्वारा मतदान केन्द्र पर आत्मदाह कर लेने के असल कारणों को जानने तथा तथ्यों की पड़ताल के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों के जांच दल ने देवचरा गांव का दौरा किया और पीडि़त परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी।
जांच के दौरान पता चला कि मतदान केन्द्र पर प्रशासन द्वारा जानबूझ कर दलित समुदाय के लोगों को वोट देने से रोकने के लिए एक साजिश के बतौर उनके इलाके में मतदाता पर्ची नहीं बांटी गई, ताकि किसी खास प्रत्याशी को चुनाव में लाभ पहुंचाया जा सके। मृतक हरी सिंह की पत्नी तारावती ने जांच दल को बताया कि हरी सिंह पिछले तीन साल से मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन इलाके के बीएलओ द्वारा जानबूझ कर उनका मतदाता पहचान पत्र नहीं बनाया जा रहा था। तारावती ने जांच दल को बताया कि वोटर कार्ड बनाने के लिए हरी सिंह से बीएलओ ने चार सौ रुपए लिए थे, तब जाकर हाल ही में उनका मतदाता पहचान पत्र बन सका।
जांच दल को देवचरा नई बस्ती में दलित समुदाय के कई ऐसे लोग मिले, जिन्होंने मतदाता पहचान पत्र न होने की शिकायत की। दलितों के साथ किस तरह वोट देने के दौरान भी अन्याय होता है, इसकी एक बानगी यह है कि हरि सिंह के घर के बगल में रहने वाली एक महिला रेखा ने बताया कि उसे भी मतदाता पर्ची नहीं मिली थी। जब रेखा की जेठानी अपने पति के साथ बिना पर्ची के वोट डालने गईं तो पता चला कि उनका वोट पहले ही डाला जा चुका है। इसी तरह कई ऐसे लोग मिले जिनसे मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए स्थानीय अधिकारियों ने तीन सौ से पांच सौ रुपए तक वसूले थे। जांच दल को देवचरा नई बस्ती के लोगों ने बताया कि उनकी तरह हरी सिंह से भी पैसा लेकर मतदाता पहचान पत्र बनाया था और इस चुनाव में इस मतदाता पहचान पत्र की वैधता को वोट देकर वह जांचना चाहते थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वोट देने के हक के लिए हरि सिंह को आत्मदाह तक करना पड़ा।
देवचरा में जांच के दौरान जेयूसीएस को पता चला कि हरि सिंह को अब तक बीपीएल कार्ड भी नहीं मिला था। घटना के तीन दिन बाद जिला प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से बचने और दोषी प्रशासनिक अधिकारियों को बचाने के लिए बीस अप्रैल को हरी सिंह की पत्नी तारावती के नाम से अन्त्योदय कार्ड जारी किया। आज तक जिला प्रशासन ने इस पीडि़त परिवार को कोई आर्थिक सहायता नहीं प्रदान की।
जांच दल ने पाया कि एक तरफ सरकार सबको वोट देने के लिए प्रोत्साहित करने के नाम पर लोगों से जहां जरूर मतदान करने की अपील करती है, वहीं बूथ लेवल अफसर दलित समुदाय के लोगों को किसी भी तरह वोट नहीं डालने देने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं। प्रशासन के कुछ लोग चाहते हैं कि किसी खास जाति के लोगों की राह चुनाव में आसान बनी रहे और उनका ही दबदबा राजनीति में बना रहे। यह किसी समाज को उसके न्यूनतम लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित रखने और लोकतंत्र को कमजोर करने की एक साजिश है तथा उस व्यक्ति के संविधान प्रदत्त मूल अधिकारों का भी गंभीर हनन है।
दलित समुदाय के लोकतांत्रिक व मानवाधिकार हनन के इस गंभीर मसले पर हम मांग करते हैं कि जिस तरह जिला और पुलिस प्रशासन का पूरा अमला मतदान केंद्र पर मौजूद रहा और हरी सिंह जलता रहा, ऐसे में प्रथम दृष्टया दोषी अधिकारयों को गिरफ्तार कर पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच काराई जाए। पीडि़त परिवार को बीस लाख रुपए मुआवजा तथा उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी व बच्चों की शिक्षा की गारंटी की जाए।
दिनांक- 06.05.2014
द्वारा जारी
राघवेन्द्र प्रताप सिंह, शरद जायसवाल, गुफरान सिद्दीकी, लक्ष्मण प्रसाद, शाह आलम, प्रबुद्ध गौतम, हरे राम मिश्र, अनिल यादव, मोहम्मद आरिफ, वरुण, विजय प्रताप, ऋषि कुमार, अवनीश, फैजान मुसन्ना, जुहैर तुराबी।
कार्यकारिणी सदस्य जर्नलिस्ट्स यूनियन फाॅर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस)
लखनऊ उत्तर प्रदेश
संपर्क- द्वारा मोहम्मद शुऐब एडवोकेट
110/46 हरि नाथ बनर्जी स्ट्रीट
लाटूश रोड, नया गांव पूर्व
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
मोबाइल- 07379393876, 09454292339
प्रतिलिपि संलग्नक-
1- महामहिम राष्ट्रपति महोदय
2- प्रधानमंत्री, भारत सरकार
3- मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश शासन
4- अध्यक्ष, अनसूचित जाति जन जाति आयोग, नई दिल्ली
5- अध्यक्ष, अनसूचित जाति जन जाति आयोग, लखनऊ
7- अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार अयोग, नई दिल्ली
8- अध्यक्ष, राज्य मानवाधिकार आयोग, लखनऊ
9- केन्द्रिय चुनाव आयुक्त, नई दिल्ली
10- राज्य चुनाव आयुक्त, लखनऊ
11- डीजीपी, उत्तर प्रदेश पुलिस, लखनऊ