Monday, June 28, 2010

जनता तय करेगी, कौंन सी फिल्में देखनी है


नेपाली जन आंदोलन पर बनी फिल्म को सेंसर प्रमाणपत्र न देना हास्यास्पद : जेयूसीए
नई दिल्ली, 28 जून। जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) ने केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के उस फैसले की कड़ी निंदा की है, जिसमें नेपाल के जनांदोलनों पर बनी फिल्म ‘‘फेल्म ऑफ द स्नो : रेवोल्यूशन इन नेपाल’’ को प्रमाणपत्र देने से मना कर दिया है। संगठन की मंगलवार को ईस्ट विनोद नगर  में हुई एक बैठक में इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए, फिल्म को अविलम्ब सेंसर प्रमाणपत्र देने की मांग की गई।
जेयूसीएस ने मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह फिल्म नेपाली माओवादी आंदोलन पर केन्द्रीत है। इसलिए सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष शर्मिला टैगोर का सिनेमेटोग्राफी एक्ट की आड़ लेकर यह कहना कि इससे भारतीय एकता व अखण्डता को खतरा पैदा होगा हास्यास्पद है। जेयूसीएस से जुड़े फ़िल्मकार शाह आलम ने कहा कि जो फिल्म भारतीय सामाजिक-राजनीतिक पृष्टभूमि पर आधारित ही नहीं हो उससे भारतीय एकता अखण्डता को खतरा होने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि फिल्म नेपाली पृष्टभूमि पर आधारित है, जहां की बहुसंख्यक जनता माओवादियों के साथ खड़ी है। जबकि भारत में परिस्थितियां ऐसी नहीं है। इसलिए सेंसर बोर्ड का यह तर्क नाजायज है कि इससे भारतीय माओवादियों को नैतिक बल मिलेगा। जेयूसीएस के अरूण उरांव ने कहा कि लोकतंत्र में सभी तरह की राजनीतिक विचाराधाराओं को अपनी बात रखने का समान अवसर है। इससे पहले भारतीय नक्सलवादियों पर भी फिल्में बनी हैं और जनता ने उन्हें सराहा है। कौन सी फिल्में जनता को देखनी है या कौन सी फिल्में नहीं देखनी है, इसका फैसला जनता खुद कर सकती है। इसमें सेंसर बोर्ड की दखलदांजी को कत्तई बर्दाशत  नहीं किया जा सकता। बैठक की जानकारी देते हुए अवनीश राय ने बताया कि इसमें सूचना प्रसारण माध्यमों में सरकारी हस्तक्षेप व अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता पर बढ़ते हमलों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा संगठन की तरफ से फिल्म को सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र अविलम्बन दिलाने की मांग को लेकर सूचना प्रसारण मंत्री को भी पत्र भेजा गया है। बैठक में संगठन की आगामी गतिविधियों पर भी चर्चा हुई। 

-   द्वारा
विजय प्रताप, ऋषि कुमार सिंह, अवनीश कुमार राय, नवीन कुमार,शाह आलम, अली अख्तर, मुकेश चौरासे, राघवेंद्र प्रताप सिंह, शाहनवाज आलम, राजीव यादव , चंदन शर्मा, अंशुमाला सिंह,  सीत मिश्रा, राजलक्ष्मी शर्मा , दीपक राव,अभिषेक रंजन सिंह, अरुण कुमार उरांव, प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, विवेक मिश्रा, रवि राव, प्रिया मिश्रा, राकेश, लक्ष्मण प्रसाद, अनिल, देवाशीष प्रसून, चंद्रिका, संदीप, ओम नागर, श्वेता सिंह, अलका देवी, नाज़िया, पंकज उपाध्याय, तारिक़, मसीहुद्दीन संजरी, व अन्य
जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) ई-36,गणेशनगर,नई दिल्ली-92 की तरफ से जारी

Wednesday, June 16, 2010

युवा जोड़े की हत्या सरकारी चुप्पी पर तमाचा

                                         प्रेस विज्ञप्ति
     - जेयूसीएस ने सरूपनगर इलाके में युवा जोड़े के हत्यारों की गिरफ्तारी की मंाग की
नई दिल्ली, 15 जून। जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी जेयूसीएस ने उत्तर पश्चिमी दिल्ली के सरूपनगर इलाके में सोमवार को एक युवा जोड़े की पीट-पीट कर हत्या की कड़ी निंदा की है। जेयूसीएस ने इस मामले में फरार हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की है। संगठन ने अपनी पुरानी मांग दोहराते हुए ऐसी हत्याओं पर रोक लगाने के लिए सरकार से कठोर कानून बनाने को कहा है।

संगठन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि देश में ऐसी लगातार घटनाएं हो रही हैं जिसमें अपनी पसंद से शादी करने वाले युवा जोड़ों को प्रताड़ित किया जा रहा है और उनकी हत्या भी हो रही है, जो कि बेहद शर्मनाक है। ऐसी हत्याएं कथित सभ्य समाज और विकसित होते शहरों की सच्चाई का नमूना। गौरतलब है कि पिछले दिनों युवा पत्रकार निरुपमा पाठक की भी उनके गृहजिले झारखण्ड के कोडरमा में हत्या कर दी गई थी। निरुपमा की हत्या भी विजातीय व पसंद के लड़के से शादी की इच्छा के चलते की गई। इस घटना का जेयूसीएस सहित विभिन्न जनसंगठनों ने काफी विरोध भी किया। जेयूसीएस के ऋषि कुमार सिंह ने कहा कि ऐसी घटनाएं रोज हो रही हैं, लेकिन ज्यादातर घटनाएं दबा दी जाती है। उन्होंने कहा कि राजधानी दिल्ली में भी ऐसी घटनाएं सरकारी चुप्पी पर करारा तमाचा है। देवाशीष प्रसून ने कहा कि एक तरफ कानून दो वयस्क को मनपसंद से शादी की इजाजत देता है वहीं ऐसी घटनाएं कानून का माखौल उड़ा रही हैं। जेयूसीएस के विजय प्रताप कहा कि भारतीय समाज में अभी भी अर्द्धसामंती अवशेष मौजूद हैं और राजनीतिक दल अपनी चुप्पी से इसका वजूद बनाए रखे हुए हैं। उन्होंने ऐसी हत्याओं के खिलाफ अन्य जन संगठनों, महिला संगठनों व मानवाधिकार संगठनों से आगे आने की अपील की है।



द्वारा जारी
  ऋषि कुमार सिंह, अवनीश कुमार राय, नवीन कुमार,शाह आलम, अली अख्तर, मुकेश चौरासे, राघवेंद्र प्रताप सिंह, शाहनवाज आलम, राजीव यादव , चंदन शर्मा, अंशुमाला सिंह,
  सीत मिश्रा, राजलक्ष्मी शर्मा , दीपक राव,अभिषेक रंजन सिंह, अरुण कुमार उरांव, प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, विवेक मिश्रा, रवि राव, प्रिया मिश्रा, राकेश, लक्ष्मण प्रसाद, अनिल, देवाशीष प्रसून, चंद्रिका, संदीप, ओम नागर, श्वेता सिंह, अलका देवी, नाज़िया, पंकज उपाध्याय, तारिक़, मसीहुद्दीन संजरी, व अन्य।

Monday, June 14, 2010

न्यायपालिका से उठा जनता का विश्वास : शाह आलम

- गैस पीड़ितों के इंसाफ के लिए जेयूसीएस,  एनएपीएम और युवा कोशिश ने निकाला कैंडिल मार्च

नई दिल्ली,(13 जून,2010) भोपाल गैस पीड़ितों के इंसाफ को लेकर आज शाम दिल्ली के बटला हाउस इलाक़े में छात्रों की संस्था “युवा कोशिश”, नेशनल एलायंस ऑफ पीपुल्स मुवमेंट (NAPM) और जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (JUCS) के संयुक्त तत्वाधान में एक ‘कैंडल मार्च’ निकाला गया। इस ‘कैंडल मार्च’ में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली विश्वविद्यालय, जे.एन.यू. के छात्रों सहित विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता व इलाके के लोग शामिल रहे।  इस अवसर पर “युवा कोशिश” के राष्ट्रीय अध्यक्ष अली अख्तर ने कहा कि “एंडरसन देश का सबसे बड़ा आतंकवादी है और उसको संरक्षण देने वाले भी आतंकवादी से कम नहीं हैं। ये हमारे देश की विडंबना ही है कि 180 लोगों के जान लेने वाला 26/11 के हमलावर आतंकी कसाब को महज़ एक साल में फांसी की सज़ा सुना दी गई मगर 15 हज़ार लोगों की जान लेने वालों को सज़ा सुनाने में 25 साल लग गए और सज़ा भी दी गई तो महज़ दो-दो साल की और मुख्य आरोपी भारतीय कानून के चंगुल से बाहर है।”
जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (JUCS)  के प्रभारी शाह आलम का कहना है कि “इस मसले पर सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं। कोई पाक-साफ नहीं है और अवाम को सिर्फ बेवकूफ बनाया जा रहा है। अगर ऐसा ही होता रहा तो लोगों का न्यायपालिका, संविधान और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र से विश्वास उठ जाएगा।”

नेशनल एलायंस ऑफ पीपुल्स मुवमेंट (NAPM) के दिल्ली प्रदेश संयोजक फैसल खान ने कहा कि “सरकार ने पीड़ितों के साथ मज़ाक किया है। उन्हें न्याय मिलना ही चाहिए। साथ ही हम मुस्लिम संगठनों से भी अनुरोध करेंगे कि वो इस मसले पर खुलकर सामने आएं।”
वहीं सूचना अधिकार पर कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अफरोज़ आलम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “डाओ केमिकल्स ने एक लाख रूपये का चंदा भारतीय जनता पार्टी को वित्तीय वर्ष 2006-07 में सिटी बैंक के ड्राफ्ट नंबर- 9189 के ज़रिए किया था। डाओ केमिकल्स से चंदा लेने का मुद्दा सामने आने के बाद भाजपा के लिए भोपाल गैस पीड़ितों के मुद्दे को ज़ोरदार ढ़ंग से उठाना और कांग्रेस को इस मुद्दे पर घेरना आसान नहीं रह गया है।” साथ ही इस अवसर पर “युवा कोशिश” ने यह ऐलान किया कि देश में होने वाले हर नाइंसाफी के विरूद्ध युवाओं को आगे आना चाहिए और बहुत बटला हाउस एनकाउंटर मामले में इंसाफ के लिए एक देश व्यापी अभियान चलाएंगे।
द्वारा जारी
  ऋषि कुमार सिंह, अवनीश कुमार राय, नवीन कुमार,शाह आलम, अली अख्तर, मुकेश चौरासे, राघवेंद्र प्रताप सिंह, शाहनवाज आलम, राजीव यादव , चंदन शर्मा, अंशुमाला सिंह,
  सीत मिश्रा, राजलक्ष्मी शर्मा , दीपक राव,अभिषेक रंजन सिंह, अरुण कुमार उरांव, प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, विवेक मिश्रा, रवि राव, प्रिया मिश्रा, राकेश, लक्ष्मण प्रसाद, अनिल, देवाशीष प्रसून, चंद्रिका, संदीप, ओम नागर, श्वेता सिंह, अलका देवी, नाज़िया, पंकज उपाध्याय, तारिक़, मसीहुद्दीन संजरी, व अन्य।

Thursday, June 3, 2010

जेयूसीएस ने प्रयाग महिला विद्यापीठ में परीक्षा के नाम पर रुपया लेने का किया स्टिंग आपरेशन

इलाहाबाद 3 जून 10/ जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी ;जेयूसीएसद्ध ने प्रायाग महिला विद्यापीठ में एमए हिंदी की मौखिक परिक्षा के दौरान परिक्षार्थियों से पांच-पांच सौ रुपए रिश्वत लेने का स्टिंग वीडियो जारी करते हुए उपरोक्त परिक्षा को तत्काल रद्द करने और कालेज प्रशासन पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। जेयूसीएस ने इस बाबत यूजीसी और राज्यपाल को भी तथ्यों को कार्यवायी हेतु पत्रक भेजा है।
 जेयूसीएस द्वारा जारी इस वीडियो टेप को 01 जून को 10 बजकर पचपन मिनट से 11 बजकर दस मिनट के बीच सूट किया गया है। इस टेप में प्रयाग महिला विद्यापीठ की एक अध्यापिका और एक बाबू द्वारा पैसा लेते और पैसा लेने के बाद ही परिक्षार्थियों से पत्रक पर हस्ताक्षर कराने का प्रमाण है। इस वीडियो टेप में पत्रक पर साफ तौर से कानपुर विश्वविद्यालय का लोगो और बैच नंबर देखा जा सकता है। टेप में कई अभ्यर्थी द्वारा पैसा देते और पैसे के बारे में बात-चीत करते हुए स्पष्ट रुप से देखा और सुना जा सकता है।
वीडियो टेप को जारी करते हुए राघवेंद्र प्रताप सिंह, शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि कानपुर विश्वविद्यालय के सेंटरों पर लंबे समय से इस तरह पैसे लेकर डिग्री बांटने का संगठित गोरखधंधा चल रहा है। संगठन लंबे समय से इस पर निगाह रखे था। आज यह वीडियो टेप इसका प्रमाण है। ऐसे में प्रयाग महिला विद्यापीठ समेत कानपुर विश्वविद्यालय के जो भी सेंटर है उन पर एक उच्च स्तरीय जांच बैठायी जाय।

द्वारा जारी
  राघवेंद्र प्रताप सिंह, शाहनवाज आलम, राजीव यादव ,विजय प्रताप, ऋषि कुमार सिंह, अवनीश कुमार राय, नवीन कुमार,शाह आलम, अली अख्तर, मुकेश चौरासे, चंदन शर्मा, अंशुमाला सिंह, अभिषेक रंजन सिंह, अरुण कुमार उरांव, प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, सौम्या झा, विवेक मिश्रा, रवि राव, प्रिया मिश्रा, राकेश, लक्ष्मण प्रसाद, अनिल, देवाशीष प्रसून, चंद्रिका, संदीप, ओम नागर, श्वेता सिंह, अलका देवी, नाज़िया, पंकज उपाध्याय, तारिक़, मसीहुद्दीन संजरी, व अन्य।


जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) ई-36,गणेशनगर,नई दिल्ली-92
संपर्क सूत्र- 09415254919,09452800752

Tuesday, June 1, 2010

भारतीय प्रेस परिषद को पत्र


प्रति
सचिव,
भारतीय प्रेस परिषद
सूचना भवन, 8-सी.जी.ओ. कॉम्पलेक्स
लोदी रोड, नई दिल्ली-110003
महोदय,
 जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएसकी तरफ से हम आपका ध्यान पिछले दिनों हिंदीदैनिक 'पत्रिकाके जबलपुर संस्करण से युवा पत्रकार दीपक को बिना किसी नोटिस के संस्थान से बाहरनिकले जाने की घटना के तरफ आकृष्ट करना चाहते हैं। पत्रिका में प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में दीपक पिछले महीनों से कार्य कर रहे थे । संस्थान  में उन्हें रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी दी गई थी,लेकिन इससे इतर उनसे रोजाना के अख़बार की समीक्षा भी कराई जाती थी। संस्थान में उनसेप्रतिदिन 14- 15 घंटे काम लिया जाता था।  एक प्रशिक्षु के रूप में  न तो उन्हें नियमानुसार वेतनमानदिया जाता था और न ही समीक्षा जैसे अतिरिक्त काम के लिए कोई मानदेय दिया जाता था। दीपक ने एक खबर बनाने के दौरान राज्यपाल के नाम से पहले 'महामहिमलिख दिया। इस बात को लेकर स्थानीय सम्पादक ने उन्हें अगले दिन से न आने और अपना हिसाब कर लेने को कह दिया। गौरतलब है कि उसी अख़बार में रोजाना ऐसी दर्जनों शाब्दिक गलतियाँ देखने होती हैं। ऐसे में केवल एक प्रशिक्षु को,जो वहां सीखने के लिए गया था, जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं लगता है।
   विभिन्न समाचार संस्थानों में दीपक जैसे सैकड़ों युवा-प्रशिक्षु पत्रकारों से 12 - 14 घंटे काम लिया जारहा है। इसके बदले उन्हें जो वेतनमान या मानदेय दिया जाता है वह उनकी मेहनत का आधा भी नहींहोता है। साथ ही इन संस्थानों में श्रम कानूनों के उल्लंघन का खेल लम्बे समय से चल रहा है। देर राततक कार्य करने वाले कर्मचारियों को  तो कोई रात्रि भत्ता दिया जाता है,न ही ऐसे कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाएं ही दी जाती हैं। कई मीडिया संस्थानों में रिपोर्टिंग का कार्य करने वाले प्रशिक्षुओं को यात्राऔर फोन भत्ता भी नहीं दिया जाता है। ऐसे में उन्हें अपने वेतन से ही सारा खर्चे करना पड़ता है।पत्रकारिता का प्रशिक्षण पाने के बाद बड़ी संख्या में युवा इन मीडिया संस्थानों में नौकरियों के लिए चक्कर कटते हैं। जो संस्थान इन्हें अपने यहाँ काम पर रखते हैं,वे कर्मचारी की बजाय एक ऐसे नौकर के रूप मेंरखते हैं,जिसका संस्थान के रिकार्ड में कोई ब्यौरा नहीं होता है। ऐसा करके मीडिया संस्थान न केवल इन युवाओं न्यूनतम मानदेय से वंचित रखते हैं,बल्कि गैर कानूनी रूप से रोजाना अधिक समय तक काम लेते हैं। 

ऐसे में संगठन की प्रेस परिषद् से  मांग है की -

1 - प्रशिक्षु पत्रकार दीपक के मामले को संज्ञान में लेकर इस मामले की जाँच कराए और बिना किसीनोटिस के एक पत्रकार को नौकरी से निकलने के मामले में अख़बार के संपादकस्थानीय संपादक औरप्रबंधक के खिलाफ जरुरी कार्रवाई करें।
2 - मीडिया संस्थानों में प्रशिक्षु पत्रकारों की नियुक्तियों  के सम्बन्ध में साफ-सुथरी नीति बनाई जाएपरिषद् यह भी सुनिश्चित करे कि ऐसी सभी नियुक्तियों के मापदंड और बर्खास्तगी के कारणों कोसार्वजनिक किये जाएं।
3 –मीडिया संस्थानों में श्रम कानूनों के खुलेआम उल्लंघन के मामलों की भी जाँच कराई जाए। साथ हीअन्य समाचार संस्थानों में कार्यरत प्रशिक्षु-अंशकालिक-श्रमजीवी पत्रकारों के वेतनसुविधावों और कार्य कीपरिस्थितियों का आकलन कराया जाए।
4 - मीडिया संस्थानों में आंतरिक लोकतंत्र की बहाली के उपाय किया जाएं।

द्वारा-
विजय प्रताप, ऋषि कुमार सिंह, अवनीश कुमार राय, नवीन कुमार,शाह आलम, अली अख्तर, मुकेश चौरासे, चंदन शर्मा,राजीव यादव, अंशुमाला सिंह, अभिषेक रंजन सिंह, अरुण कुमार उरांव, प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, सौम्या झा, विवेक मिश्रा, रवि राव, प्रिया मिश्रा, शाहनवाज़ आलम, राकेश, लक्ष्मण प्रसाद, अनिल, देवाशीष प्रसून, चंद्रिका, संदीप, ओम नागर, श्वेता सिंह, अलका देवी, नाज़िया, पंकज उपाध्याय, तारिक़, मसीहुद्दीन संजरी, राघवेंद्र प्रताप सिंह व अन्य।

जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) ई-36,गणेशनगर,नई दिल्ली-92

प्रति सम्प्रेषित
1.भुवनेश जैन, सम्पादक, पत्रिका
2.सिद्धार्थ भट्ट, स्थानीय सम्पादक,पत्रिका,जबलपुर