Wednesday, May 7, 2014

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के देवचरा मतदान केन्द्र पर दलित हरी सिंह द्वारा आत्मदाह कर लेने के सन्दर्भ में।

प्रति,         
केन्द्रीय चुनाव आयुक्त
निर्वाचन सदन, लोधी रोड
नई दिल्ली भारत।

विषय- उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के देवचरा मतदान केन्द्र पर दलित हरी सिंह द्वारा आत्मदाह कर लेने के सन्दर्भ में।

महोदय,
गत सत्रह अप्रैल को बरेली जिले के देवचरा नई बस्ती निवासी दलित हरी सिंह को आम चुनाव में मतदान पर्ची न देने, मतदान केन्द्र पर मतदान से रोकने, बूथ कर्मचारियों, स्थानीय थाना प्रभारी, बीएलओ द्वारा मतदान केन्द्र पर बार-बार अपमानित करने के कारण राम भरोसे इंटर कालेज, मतदान केन्द्र पर आत्मदाह कर लेने का मामला सामने आया। हरी सिंह द्वारा मतदान केन्द्र पर आत्मदाह कर लेने के असल कारणों को जानने तथा तथ्यों की पड़ताल के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों के जांच दल ने देवचरा गांव का दौरा किया और पीडि़त परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी।

जांच के दौरान पता चला कि मतदान केन्द्र पर प्रशासन द्वारा जानबूझ कर दलित समुदाय के लोगों को वोट देने से रोकने के लिए एक साजिश के बतौर उनके इलाके में मतदाता पर्ची नहीं बांटी गई, ताकि किसी खास प्रत्याशी को चुनाव में लाभ पहुंचाया जा सके। मृतक हरी सिंह की पत्नी तारावती ने जांच दल को बताया कि हरी सिंह पिछले तीन साल से मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन इलाके के बीएलओ द्वारा जानबूझ कर उनका मतदाता पहचान पत्र नहीं बनाया जा रहा था। तारावती ने जांच दल को बताया कि वोटर कार्ड बनाने के लिए हरी सिंह से बीएलओ ने चार सौ रुपए लिए थे, तब जाकर हाल ही में उनका मतदाता पहचान पत्र बन सका।

जांच दल को देवचरा नई बस्ती में दलित समुदाय के कई ऐसे लोग मिले, जिन्होंने मतदाता पहचान पत्र न होने की शिकायत की। दलितों के साथ किस तरह वोट देने के दौरान भी अन्याय होता है, इसकी एक बानगी यह है कि हरि सिंह के घर के बगल में रहने वाली एक महिला रेखा ने बताया कि उसे भी मतदाता पर्ची नहीं मिली थी। जब रेखा की जेठानी अपने पति के साथ बिना पर्ची के वोट डालने गईं तो पता चला कि उनका वोट पहले ही डाला जा चुका है। इसी तरह कई ऐसे लोग मिले जिनसे मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए स्थानीय अधिकारियों ने तीन सौ से पांच सौ रुपए तक वसूले थे। जांच दल को देवचरा नई बस्ती के लोगों ने बताया कि उनकी तरह हरी सिंह से भी पैसा लेकर मतदाता पहचान पत्र बनाया था और इस चुनाव में इस मतदाता पहचान पत्र की वैधता को वोट देकर वह जांचना चाहते थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वोट देने के हक के लिए हरि सिंह को आत्मदाह तक करना पड़ा।

देवचरा में जांच के दौरान जेयूसीएस को पता चला कि हरि सिंह को अब तक बीपीएल कार्ड भी नहीं मिला था। घटना के तीन दिन बाद जिला प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से बचने और दोषी प्रशासनिक अधिकारियों को बचाने के लिए बीस अप्रैल को हरी सिंह की पत्नी तारावती के नाम से अन्त्योदय कार्ड जारी किया। आज तक जिला प्रशासन ने इस पीडि़त परिवार को कोई आर्थिक सहायता नहीं प्रदान की।

जांच दल ने पाया कि एक तरफ सरकार सबको वोट देने के लिए प्रोत्साहित करने के नाम पर लोगों से जहां जरूर मतदान करने की अपील करती है, वहीं बूथ लेवल अफसर दलित समुदाय के लोगों को किसी भी तरह वोट नहीं डालने देने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं। प्रशासन के कुछ लोग चाहते हैं कि किसी खास जाति के लोगों की राह चुनाव में आसान बनी रहे और उनका ही दबदबा राजनीति में बना रहे। यह किसी समाज को उसके न्यूनतम लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित रखने और लोकतंत्र को कमजोर करने की एक साजिश है तथा उस व्यक्ति के संविधान प्रदत्त मूल अधिकारों का भी गंभीर हनन है।

दलित समुदाय के लोकतांत्रिक व मानवाधिकार हनन के इस गंभीर मसले पर हम मांग करते हैं कि जिस तरह जिला और पुलिस प्रशासन का पूरा अमला मतदान केंद्र पर मौजूद रहा और हरी सिंह जलता रहा, ऐसे में प्रथम दृष्टया दोषी अधिकारयों को गिरफ्तार कर पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच काराई जाए। पीडि़त परिवार को बीस लाख रुपए मुआवजा तथा उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी व बच्चों की शिक्षा की गारंटी की जाए।

दिनांक- 06.05.2014

द्वारा जारी
राघवेन्द्र प्रताप सिंह, शरद जायसवाल, गुफरान सिद्दीकी, लक्ष्मण प्रसाद, शाह आलम, प्रबुद्ध गौतम, हरे राम मिश्र, अनिल यादव, मोहम्मद आरिफ, वरुण, विजय प्रताप, ऋषि कुमार, अवनीश, फैजान मुसन्ना, जुहैर तुराबी।              

कार्यकारिणी सदस्य जर्नलिस्ट्स यूनियन फाॅर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस)
लखनऊ उत्तर प्रदेश
संपर्क- द्वारा मोहम्मद शुऐब एडवोकेट
110/46 हरि नाथ बनर्जी स्ट्रीट
लाटूश रोड, नया गांव पूर्व
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
मोबाइल- 07379393876, 09454292339

प्रतिलिपि संलग्नक-
1- महामहिम राष्ट्रपति महोदय
2- प्रधानमंत्री, भारत सरकार
3- मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश शासन
4- अध्यक्ष, अनसूचित जाति जन जाति आयोग, नई दिल्ली
5- अध्यक्ष, अनसूचित जाति जन जाति आयोग, लखनऊ
7- अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार अयोग, नई दिल्ली
8- अध्यक्ष, राज्य मानवाधिकार आयोग, लखनऊ
9- केन्द्रिय चुनाव आयुक्त, नई दिल्ली
10- राज्य चुनाव आयुक्त, लखनऊ
11- डीजीपी, उत्तर प्रदेश पुलिस, लखनऊ

उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के बजाना (अहिरवार) गांव में 30 अप्रैल 2014 को हुए मतदान के दौरान अस्सी वर्षीय दलित जंगी लाल से दबंगों द्वारा ‘मूर्ति पर हाथ रखवा कर पूछा- किसे दिया वोट? जवाब नहीं देने पर ले ली जान’ के समूचे प्रकरण की न्यायिक जांच, परिवार को पुलिस सुरक्षा व पीडि़त परिवार को 20 लाख मुवाबजा देने के संदर्भ में।

प्रति,         
अध्यक्ष
केन्द्रिय निवार्चन आयोग
लोधी रोड, नई दिल्ली।

विषय- उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के बजाना (अहिरवार) गांव में 30 अप्रैल 2014 को हुए मतदान के दौरान अस्सी वर्षीय दलित जंगी लाल से दबंगों द्वारा ‘मूर्ति पर हाथ रखवा कर पूछा- किसे दिया वोट? जवाब नहीं देने पर ले ली जान’ के समूचे प्रकरण की न्यायिक जांच, परिवार को पुलिस सुरक्षा व पीडि़त परिवार को 20 लाख मुवाबजा देने के संदर्भ में।

महोदय,
हम सब सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार समूह हैं। दिनांक 1 मई 2014 को दैनिक भास्कर के वेब संस्करण पर एक खबर प्रकाशित हुई थी ‘मूर्ति पर हाथ रखवा कर पूछा- किसे दिया वोट? जवाब नहीं देने पर ले ली जान’। इस खबर में लिखा है कि उत्‍तर प्रदेश में झांसी-ललितपुर लोकसभा क्षेत्र के बजाना गांव में 80 साल के बुजुर्ग की हत्‍या केवल इसलिए कर दी गई क्‍योंकि उसने दबंगों को यह नहीं बताया कि वोट किसे दिया है। 30 अप्रैल को दबंगों के वार से घायल जंगी लाल ने 1 मई की देर रात दम तोड़ दिया। उनसे दंबग जानना चाह रहे थे कि उन्‍होंने वोट किसे दिया था। उन्‍हें मंदिर ले जा कर भगवान की मूर्ति छू कर जवाब देने के लिए कहा गया। जवाब नहीं मिलने पर उन पर हमला किया गया था। खबर में लिखा है कि मारे गए बुजुर्ग जंगी लाल के बेटे रमेश ने कहा कि वो लोग पिता को मार चुके हैं। अब उसे भी जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, मामला वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। इस खबर में ‘रमेश ने बताया कि पहले से ही एक पार्टी विशेष को वोट देने के लिए दबाव डाला जा रहा था। बाजना में अधिकतर दलित रहते हैं। उसने बताया कि पूरे गांव के लोगों से कसम खिलवाई जा रही थी। उन पर दबाव बनाया जा रहा था, जो लोग उनकी बात नहीं मान रहे थे, उन्हें बूथ तक पहुंचने ही नहीं दिया गया’। ( http://www.bhaskar.com/article-ht/UP-voting-day-murder-jhansi-crime-news-4600020-PHO.html)

इसी वेब साइट पर ‘कैसे हुई घटना’ उपशीर्षक से प्रकाशित खबर में लिखा है ‘ 30 अप्रैल को 80 साल के जंगी लाल अहिरवार गांव में ही प्राइमरी पाठशाला में बने पोलिंग बूथ से मतदान करके घर लौट रहे थे। रास्ते में उन्‍हें गांव के ही पृथ्वी यादव ने रोका और पूछा कि वोट किसे दिया। जंगी लाल ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया। इस बात से गु्स्साए लोग उन्हें जबरन गांव में ही बने एक मंदिर में ले गए। वहां भगवान की मूर्ति पर हाथ रखकर यह बताने के लिए कहा कि किसे वोट दिया। बुजुर्ग ने कसम खाने से मना कर दिया तो, उसके सिर पर लाठी से हमला कर दिया। उन्हें महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां गुरुवार की रात उनकी मौत हो गई’। (http://www.bhaskar.com/article-ht/UP-voting-day-murder-jhansi-crime-news-4600020-PHO.html?seq=2)

दलित समुदाय को वोट डालने से रोकने संबन्धी कुछ और भी समाचार इस वेब साइट पर हैं जो यह बताते है कि दलित समुदाय को वोट से वंचित करने की अन्य स्थानों पर भी कोशिश की गई। जिसका वेब लिंक निम्न है- http://www.bhaskar.com/article-ht/UP-voting-day-murder-jhansi-crime-news-4600020-PHO.html?seq=3

उपरोक्त समाचार यह दर्शाते हैं कि इस मुल्क में आज भी आम दलित अपनी मर्जी से कहीं वोट नहीं दे सकते, अपना मुखिया नहीं चुन सकते। जिस तरह इस पूरे प्रकरण में दलित समुदाय के जंगी लाल को मंदिर में मूर्ति पर हाथ रखवाकर पूछा गया और उसके बाद उन पर जानलेवा हमलाकर उनकी हत्या की गई यह घटना हमारे समाज में व्याप्त अंधविश्वास और रुढि़वाद को भी उजागर करती है, जिसमें धर्म को हथियार बनाकर एक दलित समुदाय के व्यक्ति से उसके जीने के अधिकार को छीन लिया जाता है। इतना ही नहीं पूरे के पूरे दलित कस्बे को वोट देने से रोक दिया जाता है, जिसके तहत वे वोटिंग के समय तक नजरबंद रहते हैं।

हमारा लोकतंत्र प्रत्येक नागरिक को वोट देने का अधिकार मुहैया कराता है। वह किसे अपना वोट देगा यह उसकी मर्जी है। इस बावत पूछताछ, दबाव और धमकी तथा मनचाहे व्यक्ति को वोट न देने पर जान लेवा हमला करना नागरिक के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है। जिस तरह समाचार बताता है कि पूरे बजाना कस्बे के दलितों को किसी खास पार्टी को ही वोट करने के लिए धमकाया गया था। यह लोकतंत्र के विकास और उसकी सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक संकेत हैं। उपरोक्त खबर इस मुल्क में दलितों के हालात को उजागर करती है और सवाल उठाती है कि जब उनसे उनके वोट देने तक के अधिकारों को छीना जा रहा है तो ऐसे में क्या उनके अन्य अधिकार सुरक्षित हैं?

लोकभा चुनाव के दरम्यान दलित समुदाय के लोकतांत्रिक व मानवाधिकार हनन से जुड़ी इस घटना पर हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच करवाते हुए, मृतक परिवार को सुरक्षा, परिवार को 20 लाख रुपए मुआवजा सुनिश्चित कराया जाए।

दिनांक-05.05.2014
धन्यवाद,

द्वारा
राघवेन्द्र प्रताप सिंह, शरद जायसवाल, गुफरान सिद्दीकी, लक्ष्मण प्रसाद, शाह आलम, प्रबुद्ध गौतम, हरे राम मिश्र, अनिल यादव, मोहम्मद आरिफ,फैजान मुसन्ना, जुहैर तुराबी, वरुण, ऋषि कुमार,  अवनीश।

कार्यकारिणी सदस्य-
जर्नलिस्ट यूनियन  फाॅर सिविल सोसाइटी
110/46 हरि नाथ बनर्जी स्ट्रीट लाटूश रोड
नया गांव पूर्व, लखनऊ उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर- 07379393876, 09452800752

प्रतिलिपि संलग्नक-
1- महामहिम राष्ट्रपति महोदय
2- प्रधानमंत्री, भारत सरकार
3- मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश शासन
4- अध्यक्ष, अनसूचित जाति जन जाति आयोग, नई दिल्ली
5- अध्यक्ष, अनसूचित जाति जन जाति आयोग, लखनऊ
7- अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार अयोग, नई दिल्ली
8- अध्यक्ष, राज्य मानवाधिकार आयोग, लखनऊ
9- केन्द्रिय चुनाव आयुक्त, नई दिल्ली
10- राज्य चुनाव आयुक्त, लखनऊ
11- डीजीपी, उत्तर प्रदेश पुलिस, लखनऊ

Friday, May 2, 2014

दलितों को लोकतंत्र के हाशिए पर रखने का षडयंत्र है हरि सिंह का आत्मदाह

मतदान से रोके गए हरि सिंह के आत्मदाह प्र्रकरण की हो न्यायिक जांच- JUCS
राम भरोसे इंटर कालेज, देवचरा के मतदान केन्द्र पर दोबारा मतदान कराया जाए
















गत सत्रह अप्रैल को बरेली जिले के देवचरा नई बस्ती निवासी दलित हरि सिंह को आम चुनाव में मतदान पर्ची न देने, मतदान केन्द्र पर मतदान से रोकने, बूथ कर्मचारियों, स्थानीय थाना प्रभारी, बीएलओ द्वारा केन्द्र पर बार-बार अपमानित करने के कारण राम भरोसे इंटर कालेज, मतदान केन्द्र पर ही आत्मदाह कर लेने को जेयूसीएस ने लोकतंत्र के लिए शर्मनाक बताते हुए पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की है।

हरि सिंह द्वारा मतदान केन्द्र पर आत्मदाह कर लेने के असल कारणों को जानने तथा तथ्यों की पड़ताल के लिए सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकारों के जांच दल ने सोमवार को देवचरा गांव का दौरा किया और पीडि़त परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। जर्नलिस्ट्स यूनियन फाॅर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस) एवं एपीसीआर के इस जांच दल में शरद जायसवाल, अजीज खान, डाॅ इसरार खां, लक्ष्मण प्रसाद, हरेराम मिश्र और अनिल कुमार यादव शामिल थे।

जांच दल के सदस्यों द्वारा की गई पड़ताल में प्रथम दृष्टया यह बात सामने आई कि मतदान केन्द्र पर प्रशासन द्वारा जानबूझ कर दलित समुदाय के लोगों को वोट देने से रोकने के लिए एक साजिश के बतौर उनके इलाके में मतदाता पर्ची नहीं बांटी गई, ताकि किसी खास प्रत्याशी को चुनाव में लाभ पहुंचाया जा सके।

मृतक हरि सिंह की पत्नी तारावती के मुताबिक, हरि सिंह पिछले तीन साल से मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन इलाके के बीएलओ द्वारा जानबूझ कर उनका मतदाता पहचान पत्र नहीं बनाया जा रहा था। मृतक की पत्नी तारावती का आरोप है कि वोटर कार्ड बनाने के लिए हरी सिंह से बीएलओ ने चार सौ रुपए लिए थे, तब जाकर हाल ही में उनका मतदाता पहचान पत्र बन सका।













जांच दल को देवचरा नई बस्ती में दलित समुदाय के कई ऐसे लोग मिले, जिन्होंने मतदाता पहचान पत्र न होने की शिकायत की। दलितों के साथ किस तरह वोट देने के दौरान भी अन्याय होता है, इसकी एक बानगी यह है कि हरि सिंह के घर के बगल में रहने वाली एक महिला रेखा ने बताया कि उसे भी मतदाता पर्ची नहीं मिली थी। जब रेखा की जेठानी अपने पति के साथ बिना पर्ची के वोट डालने गईं तो पता चला कि उनका वोट कोई पहले ही डाला जा चुका है।

इसी तरह कई ऐसे लोग मिले जिनसे मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए स्थानीय अधिकारियों ने तीन सौ से पांच सौ रुपए तक वसूले थे। जांच दल को देवचरा नई बस्ती के लोगों ने बताया कि उनकी तरह हरी सिंह से भी पैसा लेकर मतदाता पहचान पत्र बनाया था और इस चुनाव में इस मतदाता पहचान पत्र की वैधता को वोट देकर वह जांचना चाहते थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वोट देने के हक के लिए हरि सिंह को आत्मदाह तक करना पड़ा।

पड़ताल के दौरान जांच दल को पता चला कि हरि सिंह को अब तक बीपीएल कार्ड भी नहीं मिला था। घटना के तीन दिन बाद जिला प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से बचने और दोषी प्रशासनिक अधिकारियों को बचाने के लिए बीस अप्रैल को हरि सिंह की पत्नी तारावती के नाम से अन्त्योदय कार्ड जारी किया। आज तक जिला प्रशासन ने इस पीडि़त परिवार को कोई आर्थिक सहायता नहीं प्रदान की।













जांच दल ने पाया कि एक तरफ सरकार सबको वोट देने के लिए प्रोत्साहित करने के नाम पर लोगों से जहां जरूर मतदान करने की अपील करती है, वहीं बूथ लेवल अफसर दलित समुदाय के लोगों को किसी भी तरह वोट नहीं डालने देने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं। यह एक जातिवादी और गैर लोकतांत्रिक मानसिकता है, जो लोकतंत्र को कमजोर करती है। प्रशासन के कुछ लोग चाहते हैं कि किसी खास जाति के लोगों की राह चुनाव में आसान बनी रहे और उनका ही दबदबा राजनीति में बना रहे।

जांच दल ने कहा कि 16 वीं लोकसभा के चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग न कर पाने की वजह से हरि सिंह का आत्मदाह करना यह साबित करता है कि चुनाव आयोग सिर्फ अमीर और मध्यवर्गीय तबकों के लिए ही चुनाव बूथ तक पहुंचने का रास्ता सुगम बनाने के लिए अरबों रुपए प्रचार में फूंक रहा है और उसके अधीन काम करने वाले कर्मचारी दलित बस्तियों में मतदात पत्र बनाने के लिए पैसों की उगाही कर रहे हैं।

जांच दल ने मांग की कि जिस तरह जिला और पुलिस प्रशासन का पूरा अमला मतदान केंद्र पर मौजूद रहा और हरि सिंह जलता रहा ऐसे में प्रथम दृष्टया दोषी अधिकारयों को गिरफ्तार कर पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच काराई जाए और राम भरोसे इंटर कालेज, देवचरा के मतदान केन्द्र पर दोबारा मतदान कराया जाए। जांच दल ने प्रदेश सरकार से मांग की कि पीडि़त परिवार को बीस लाख रुपए मुआवजा तथा उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी व बच्चों की शिक्षा की गारंटी की जाए।