देश की आधुनिकतम संस्थाओं में दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन(डीएमआरसी) को शामिल किया जाता है। लेकिन संस्थाओं की गुणवत्ता को बढ़ाने और उन्हें नागरिक हितैषी बनाने की पहल के बीच दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन का अपना एक अदद ‘सिटीजन चार्टर’ तक नहीं है। दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने यह जानकारी एक आरटीआई में दी है। उदारीकरण के बाद सुशासन को लागू करते हुए सरकारों ने विभिन्न स्तरों पर प्रशासनिक सुधारों में कई कोशिशें की हैं। जिसमें संस्थाओं के लिए उनका सिटीजन चार्टर होना लगभग अनिवार्य सा बनाया गया है। देश में केंद्रीय स्तर पर अलग-अलग संस्थाओं के कुल 131 ‘सिटीजन चार्टर’ लागू हैं। सिटीजन चार्टर बनाना और जनता की जानकारी के जगह-जगह लगाना ‘प्रशासनिक संवेदनशीलता’ की पहली शर्तों में से एक है। ‘सिटीजन चार्टर’(नागरिक घोषणा पत्र) में किसी भी संस्था के सेवा-क्षेत्र और मानकों का ब्यौरा शामिल होता है,जो संस्था के बारे में जनता को सूचित करने का बेहतर माध्यम माना गया है। पत्रांक संख्या-2010/ डीएमआरसी/ पीआर/ आरटीआई/ 1594 में असिस्टेंट पब्लिक इंफर्मेशन ऑफीसर सैकत चक्रवर्ती ने जानकारी दी है कि डीएमआरसी ने कोई सिटीजन चार्टर नहीं बनाया है(No Citizens Charter has been formulated by DMRC)। हालांकि डीएमआरसी के लोक सूचना अधिकारी ने सिटीजन चार्टर की जानकारी के बदले डीएमआरसी के कार्पोरेट मिशन और कार्पोरेट कल्चर की जानकारी दी। जिसमें कहा गया है कि पूरी दिल्ली को 2021 तक कवर कर लिया जायेगा। सुरक्षा, समय बाध्यता,आराम और कस्टमर संतुष्टि के मामले में विश्व स्तरीय मानकों का बनाया जायेगा। डीएमआरसी ने अपने कार्पोरेट कल्चर में पारदर्शिता बढ़ाने,संगठन को प्रभावी बनाने के साथ व्यवसायिक रूख के साथ संचालन की बात कही है। साथ ही अपने निर्माण के दौरान जनजीवन,पर्यावरण व जैवविवधता को नुकसान न पहुंचाने की प्रतिबद्दता की बात कही है। मेट्रो में यात्रा करने वालों की सुरक्षा को सबसे बड़ा उत्तरदायित्व कहा गया है।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन(डीएमआरसी) ने यह सारी जानकारियां जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी(जेयूसीएस) की तरफ से दाखिल एक आरटीआई आवेदन के जवाब में दी गई हैं। इस आरटीआई आवेदन में मेट्रो की गुणवत्ता और सेवा को लेकर कई प्रश्न पूछ गये थे। डीएमआरसी ने पत्र संख्या 2010/ डीएमआरसी/ पीआर/ आरटीआई/ 1455 में जो जवाब दिया है,उससे कई महत्वपूर्ण बातें पता चली हैं। पहली,साल 2009 में प्रति तिमाही दर्ज कराई गयी गई शिकायतों में काफी बढोत्तरी आयी है। अप्रैल-जून 2009 में 1244,जुलाई-सितम्बर2009 में 2304 और अक्टूबर-नवम्बर(दो माह) 2009 में 1676 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। आकंडों पर गौर करें तो नोएडा विस्तार के बाद शिकायतों में बढ़ोत्तरी हुई है। चूंकि मेट्रो कॉर्पोरेशन बगैर किसी रूकावट के सेवा देने का दावा करता है। लेकिन सितम्बर-नवम्बर महीने में 41 दिन ट्रेन की आवाजाही में बाधा आयी,जिसमें 65 गाड़ियों को 330 मिनट तक की रूकावट का सामना करना पड़ा। सबसे ज्यादा दिक्कतें लाइन नम्बर-3 पर देखने को मिली। सितम्बर-नवम्बर महीने में इस लाइन पर 21 दिन दिक्कतें आयी,जिसमें 30 गाड़ियों को 173 मिनट तक की रुकावट झेलनी पड़ी। हालांकि प्रेस रिलीज जारी करने तक डीएमआरसी इस समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया है।
8 नवम्बर 09 को लाइन-3 पर रामकृष्ण आश्रम मार्ग और राजीव चौक के बीच सुरंग में एक ट्रेन को 45 मिनट तक फंसी रही। यह जानकारी डीएमआरसी ने खुद दी है,जिससे आपदा प्रबंधन के स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है। इतनी देर तक लोगों को बाहर न निकाल पाने के जवाब में कहा गया कि यात्री आपातकालीन गेट खोलकर ट्रैक पर आ गये थे इसलिए उन्हें निकालने में ज्यादा समय लगा। गौरतलब है कि आपातकालीन गेट संकटमय परिस्थितियों में बाहर निकलने के लिए ही लगाये गये हैं।
इसके अलावा 20 नवम्बर को लाइन-3 पर 6 गाड़ियों का संचालन कुल 32 मिनट तक प्रभावित रहा,जिससे स्टेशन और गाड़ियों में हजारों यात्री फंसे रहे। यही नहीं सेवा बाधित होने के दौरान टिकटों की बिक्री जारी रहती है। इस बारे में मेट्रो ने जो आंकड़े दिये हैं वह चौंकाने वाले हैं। 20 नवम्बर 2009 को द्वारका-यमुना बैंक रूट पर खराबी के दौरान विभिन्न मूल्य वर्ग को 16,587 टिकटों की बिक्री की गई। जिसमें जोन-4 यानि 15रूपये मूल्य के टिकटों की सबसे ज्यादा 3644 टिकटों की बिक्री की गई।
इसके अलावा डी.एम.आर.सी. ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं-
1. मेट्रो के किराये में बढ़ोत्तरी का कारण नेटवर्क विस्तार के बाद नई किराया सूची की आवश्यकता और बढ़ी लागत बताया गया है। क्योंकि पहले किराया सूची सिर्फ 65 किलोमीटर को ध्यान में रख कर बनाई गई थी,जबकि अब इसका विस्तार(07जनवरी तक) 165 किलोमीटर हो गया है।
2. मेट्रो को गठित करते समय इसके आय के स्रोत के आकलन में यातायात से कमाई,परामर्श और रियल स्टेट से कमाई के विकल्प को रखा गया था। बाद में पीपीपी आधार पर चलाई गई फीडर बसों से होने वाली आय को भी शामिल किया गया। जबकि डीएमआरसी को विज्ञापन के जरिये सितम्बर 09 से अक्टूबर 09 के बीच 7.67 करोड़ रुपये की आय हुई है। डीएमआरसी ने आय बढ़ाने के प्रयासों में विज्ञापन से होने वाली आय को शामिल न करते हुए किराया संग्रह,परामर्श और फीडर बस को शामिल किया है।
3. 20सितम्बर से 22 नवम्बर 2009 के बीच 86.63 करोड़ रूपये की आय बताई है जो कि प्रचालन और अनुरक्षण के सभी शीर्षों से अर्जित है।
4. मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन स्वतंत्र आपदा प्रबंधन नीति और इस मामले में आत्मनिर्भर होने का दावा करता है,जबकि 8 नवम्बर 09 को रामकृष्ण आश्रम मार्ग और राजीव चौक के बीच सुरंग में फंसे 720 यात्रियों को सहायता देने में 45 मिनट का समय लगा।
5. मेट्रो ने रोजाना गाड़ियों के फेरों की संख्या के बारे में बताया है कि लाइन-1 पर 434, लाइन-2 पर 558 और लाइन-3 पर 413 फेरे लगते हैं। जबकि नोएडा के लिए फेरों की संख्या 229 है।
6. यमुना बैंक-नोएडा के बीच दो गाड़ियों में 7 मिनट 30 सेकेंड का अंतर है,जबकि नॉन पीक आवर में 15 मिनट हो जाता है। गौरतलब है कि यह जानकारी इस रूट के यात्रियों को नहीं मिलती है,जिससे यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जबकि दिल्ली के भीतर दो गाड़ियों के बीच 3 मिनट 25 सेकेंड का अंतर रखा जाता है। यानी एक ही मूल्य की सेवाओ में अंतर किया जा रहा है,जो उपभोक्ता अधिकारों का नुकसान है।
7. साधारण स्थितियों में दो स्टेशन के बीच दो मिनट का समय लगता है।
8. सेवा उपलब्ध न करा पाने की स्थिति में पूरा किराया वापस करने की बात डीएमआरसी ने स्वीकार की है। सूचना आवेदन के जवाब में यह भी कहा है कि यात्रियों द्वारा मांग जाने पर वापसी की जाती है। जो कि गलत है,क्योंकि सफर के दौरान किसी काउंटर पर उलझने या टोकाटाकी कर पैसे वापस लेने के लिए वक्त की कमी अमूमन महूसस की जाती है। लिहाजा मेट्रो को स्वेच्छा से किराया देने की पहल करनी चाहिए।
ध्यान देने की जरूरत है कि जो कुछ भी जानकारी डीएमआरसी ने आरटीआई एक्ट के तहत प्रश्नों के जवाब में दी है,वे सभी जानकारियां यात्रियों के लिए आवश्यक हैं,वावजूद इसके ये जानकारियों मेट्रो स्टेशन पर सही से डिस्प्ले नहीं की जाती है। मेट्रो दिल्ली की लाइफलाइन बनने की कोशिश कर रही है,ऐसे में जरूरी है कि वह न केवल साज-सज्जा बल्कि सेवा की गुणवत्ता और यात्री सुविधाओं को संवेदनशीलता के साथ समझे,ताकि दिल्ली की जनता को गुणवत्तापूर्ण सफर की सुविधा मिल सके। इसके साथ ही जरूरी है कि डीएमआरसी जल्दी से जल्दी अपना सिटीजन चार्टर लाये और लोगों की जानकारी के लिए जगह-जगह डिस्प्ले करे। ताकि पारदर्शिता और सेवा की गुणवत्ता बढ़ सके।
डीएमआरसी जवाब पत्र संख्या-1. 2010/डीएमआरसी/पीआर/आरटीआई/1455
डीएमआरसी जवाब पत्र संख्या-2. 2010/डीएमआरसी/पीआर/आरटीआई/1594
जारीकर्ता-जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी(जेयूसीएस)
Thursday, March 11, 2010
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