नई दिल्ली, 2 अगस्त । महात्मा गांधी अंतर राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति वी एन राय के स्त्री विरोधी बयान की जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) ने कड़ी निंदा की है। जेयूसीएसनेउन्हें तत्काल कुलपति जैसे जिम्मेदाराना पद से हटाने की भी मांग की है।
संजय गांधी |
जेयूसीएस का मानना है कि अपने गृह जनपद में महिला हिंसा जैसे मुद्दों पर एनजीओ चलाने वाले ऐसे कुलपति को अब तक संरक्षण देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी भी जिम्मेदार है। जिसने इनके खिलाफ अब तक छात्रों व तमाम जन संगठनों की तरफ से मिली शिकायतों व साक्ष्यों को न सिर्फ नजरअंदाज किया बल्कि इस पूर्व पुलिस अधिकारी को विश्वविद्यालय में डंडा भांजने, गाली-गलौज करने की खुली छूट भी दे रखी है। ऐसा लगता है कि राज्य भविष्य के जिस अपने सैन्य राष्ट् की परियोजना पर काम कर रही है, यह सब उसी के तहत हो रहा है। जिस तरह से छत्तीसगढ़ में राज्य, माओवाद के दमन के नाम पर फिराक गोरखपुरी के पौत्र व तथाकथित साहित्यकार का लबादा ओढ़े विश्वरंजन का इस्तेमाल आदिवासियों के निर्मम दमन के लिए करती है, ठीक उसी तरह कैम्पस में लोकतंत्र की हत्या के लिए इस कथित प्रगतिशील पुलिस वाले का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह दरअसल ‘मिलिट्री रिप्रेशन विद ह्यूमन फेस’ (मानवी चेहरे के साथ सैन्य दमन) का मामला है। इसलिए संगठन का मानना है कि वी एन राय के इस बयान को सिर्फ साहित्यिक दायरे तक सीमित करके देखने की बजाय लोकतंत्र के व्यापक फलक में देखा जाना चाहिए।
रविन्द्र कालिया |
राय के स्त्री विरोधी व लंपट विचारों को स्थान देने वाली पत्रिका ‘नया ज्ञानोदय’ के संपादक रविन्द्र कालिया वही व्यक्ति हैं जो आधुनिक भारत के लंपटीकरण के प्रवर्तक संजय गांधी का भाषण लिखा करते थे। ऐसा लगता है कि जिस तरह से दिन ब दिन कांग्रेस का खूनी पंजा मजबूत होता जा रहा है, वैसे-वैसे उस दौर की तमाम विकृतियां भी समाज में कालिया व राय जैसे लोगों के माध्यम से सचेत रूप से फैलायी जा रही हैं। आखिर स्त्रियों को ‘छिनाल’ कहने वाले वी एन राय, उसे जगह देने वाले कालिया और तीन दशक पहले जबरन लाखों लोगों का नसबंदी कराने वाले संजय गांधी में क्या अंतर है? संजय युग की घोर दलित, स्त्री व गरीब विरोधी युग की वापसी का प्रयत्न करने वाले रविन्द्र कालिया इससे पहले भी नया ज्ञानोदय के जनवरी 2010 के मीडिया विशेषांक के संपादकीय में कथित विकास की दौड़ में पिछड़ गए और राज्य की जिम्मेदारी से भागने की स्थिति में फुटपाथों पर भीख मांग कर जीवनयापन कर रहे वर्ग को भी गरिया चुके हैं (देखें नया ज्ञानोदय का जनवरी 2010 मीडिया विशेषांक - अब तो संपन्नता का यह उदाहरण है कि भिखारियों के पास भी फोन की सुविधा उपलब्ध है। वे फोन पर खबर रखते हैं कि किस उपासना-स्थल पर दानार्थियों की भीड़ अधिक है।) क्या कालिया का यह बयान तुर्कमान गेट के भिखारियों को अपने महंगी विदेशी गाड़ियों से रौंदने वाले संजय गांधी के काले कारनामों की पुनर्वापसी की वैचारिक पृष्टभूमि तैयार करने जैसी नहीं है?
संगठन ने तमाम प्रगतिशील धारा से जुड़े लेखक, पत्रकार व जन संगठनों से भी अपील की है कि जब तक इस स्त्री विरोधी, दलित विरोधी, जातिवादी, भ्रष्ट् कुलपति को वर्धा विश्वविद्यालय से हटा नहीं दिया जाता, तब तक वर्धा विश्वविद्यालय और उसके दूरस्थ केन्द्रों पर आयोजित कार्यक्रमों का बहिष्कार करें और इन्हें अपने कार्यक्रम में प्रवेश प्रतिबंधित कर दें। जेयूसीएस ने कुलपति वी एन राय को हटाने की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान का निर्णय लिया है। इसके तहत संगठन के लोग छात्रों व समाज के प्रति संवेदनशील लोगों से समर्थन की अपील करेंगे।
- द्वारा जारी
अवनीश राय, शाह आलम, विजय प्रताप, ऋषि कुमार सिंह, देवाशीष प्रसून, अरूण उरांव, राजीव यादव, शाहनवाज़ आलम, चन्द्रिका, दिलीप, लक्ष्मण प्रसाद, उत्पल कान्त अनीस, अजय कुमार सिंह, राघवेंद्र प्रताप सिंह, शिवदास, अलका सिंह, अंशुमाला सिंह, श्वेता सिंह, नवीन कुमार, प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, विवेक मिश्रा, रवि राव, राकेश, तारिक शफीक, मसिहुद्दीन संजारी, दीपक राव, करूणा, आकाश, नाजिया अन्य साथी
जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस), नई दिल्ली इकाई द्वारा जारी. संपर्क – 9873672153, 9910638355, 9313129941
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