Friday, May 11, 2012

आदिवासी गरीब नहीं- बीडी शर्मा

नई दिल्ली, 11 मई, 2012


इस समय हर तरह की ताकतें देश के कोने-कोने पर कब्जा कर रही हैं। जल, जंगल और जमीन पर कार्पोरेट का एकाधिकार हो रहा है और आदिवासी समुदाय को ढकेला जा रहा है। मैं व्यवस्था के कर्णधारों से पूछना चाहता हूं कि आदिवासी कब से करीब हो गया। उनके पास तो सब कुछ है।मैं प्रधानमंत्री से अपील करूंगा कि वे उन्हें गरीब मानकर बात न करें।

ये बातें शुक्रवार को प्रो. बीडी शर्मा ने कहीं। वह गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में युवा संवाद और जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस) द्वारा आयोजित बातचीत आदिवासी समाज और हमारी जिम्मेदारियां विषय पर बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि 26 नवंबर, 1946 का दिन आदिवासियों के लिए काला दिन है क्योंकि इसी दिन देश ने संविधान को स्वीकार किया था। इसमें आदिवासियों के अधिकारों के संदर्भ में भारी विसंगति थी। इसके बावजूद राज्यपाल या स्वयं राष्ट्रपति द्वारा आदिवासी इलाकों की परंपरागत व्यवस्था को औपचारिक मान्यता प्रदान करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। प्रो. शर्मा ने यह भी कहा कि

जब फौज और समाज में युद्ध होता है तो अंततः समाज ही जीतता है। हिटलर ने भी जब सोवियत रूस की तरफ हमला किया तो उसे हार का मुंह देखना पड़ा।

गांधी जी के ग्राम गणराज्य की सोच के बारे में चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि जिस आदिवासी समाज में महुए के रस को गंगाजल के रूप में देखा जाता है और नवजात के मुंह में सबसे पहले महुए का रस डाला जाता है, वर्तमान कानून में इस परंपरा को अपराध घोषित कर दिया गया है। दूसरी तरफ सरकार अंतर्राष्ट्रीय साजिश के तहत शराब की बिक्री कर रही है जो चाइना के ओपियम वार की तरह है। अगर इसपर नियंत्रण नहीं लगाया तो पूरा आदिवासी समाज इसमें डूब जाएगा। आदिवासी इलाकों के मामले में सीधा सवाल है कि धरती हमारी है पानी हमारा है हवा हमारी है ऐसे में कुछ नोटों की गड्डी की ताकत पर उद्योगों की स्थापना नहीं किया जा सकता। राज्य को आदिवासी इलाकों में एमओयू पर हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं है।कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया स्टडीज ग्रुप के अध्यक्ष अनिल चमड़िया ने कहा कि सरकार आंकड़ों में हेर-फेर करके देश में नक्सल प्रभावित इलाकों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है ताकि आदिवासी इलाकों की प्राकृतिक संपदा का दोहन करने के लिए हथियारबंद सुरक्षा बलों का सहारा लिया जा सके।

इस दौरान युवा संवाद के एके अरुण, किसान नेता डॉ सुनीलम् समेत कई वक्ताओं ने अपने विचार व्यवक्त किए। कार्यक्रम का संचालन विजय प्रताप ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन जेयूसीएस के अवनीश ने किया।



द्वारा जारी

युवा संवाद एवं जेयूसीएस

संपर्क- 8010319761


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