Saturday, July 24, 2010

राष्ट्रविरोधी सर्वे पर अल्पसंख्यक आयोग की नोटिस

- जेयूसीएस की अपील पर की कार्रवाई

नई दिल्ली, 24 जुलाई। राष्ट्रीय  अल्पसंख्यक आयोग ने मुस्लिम धर्मावलम्बियों के बीच किए जा रहे राष्ट्विरोधी सर्वे पर सर्वे कराने वाली कम्पनी ‘मार्केटिंग एवं डेवल्पमेंट रिसर्च एसोसिएट्स (एमडीआरए) को नोटिस जारी किया है। सर्वे में मुस्लिम समाज की कट्टरपंथी व राष्ट्द्रोही छवि पेश किए जाने के संबंध में जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) ने आयोग से इस पर रोक लगाने की मांग की थी।

    आयोग के अध्यक्ष शफीकुल कुरैशी के विशेष कार्यकारी अधिकारी एन.ए. सिद्दीकी ने एमडीआरए कम्पनी के प्रबंध निदेशक को भेजी गई नोटिस में ‘असामाजिक व राष्ट्विरोधी’ सर्वे पर स्पष्टीकरण मांगा है। इससे पूर्व में जर्नलिस्टस यूनियन फॉर सिविल सोसायटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर उनसे इस सर्वे पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले शाह आलम ने बताया कि एमडीआरए द्वारा किए जा रहे इस सर्वे का मकसद मुस्लिम युवाओं की छवि को कट्टर व आतंकवादियों का हिमायती बताना है। उन्होंने कहा कि जब मुंबई की एक अदालत ने अजमल आमीर कसाब को सजा सुना चुकी है, तो इस इस पर सवाल उठाना अदालत की भी अवमानना है।
    सर्वे में कसाब की सजा पर धर्मावलम्बियों से इस तरह के प्रश्न पूछे गए हैं कि क्या कसाब को दी गई सजा उचित है या कुछ ज्यादा ही कठोर है? क्या आप सोचते हैं कि कसाब के मुकदमे की फिर से सुनवाई की जाए और उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया जाए या वापस पाकिस्तान भेज दिया जाए? शाह आलम ने कहा कि देश में पहले से ही मुस्लिम समुदाय के लोगों से दोहरा बरताव किया जा रहा है। इस सर्वे से ऐसे व्यवहार को प्रमाणिकता दिलाने की कोशिश की जा रही है। संगठन के ही विजय प्रताप ने कहा कि सर्वे में जिस तरह से एकतरफा सवाल पूछे गए हैं उससे साफ जाहिर होता है कि सर्वे करने वालों का मकसद मुस्लिमों की छवि को राष्ट्विरोधी साबित करना है। उन्होंने कहा कि थोड़े से धर्मगुरुओं के बीच ऐसे सर्वे के आधार पर एक पूरे समुदाय के खिलाफ नफरत की मानसिकता का निर्माण करने की कोशिश की जा रही है।

द्वारा जारी

ऋषि कुमार सिंह, अवनीश राय

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