Tuesday, July 13, 2010

ये मास कम्युनिकेशन का पेपर या इनफोर्मेसन टेक्नालोजी का !

प्रति,
कुलपति,
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
हिसार,

निदेशक,
दूरस्थ शिक्षा
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
हिसार

विषय - एमए मास कम्युनिकेशन के प्रश्न पत्र में पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न पूछे जाने के संबंध में

महोदय,
युवा पत्रकारों व पत्रकारिता छात्रों के संगठन जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी जेयूसीएस को विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा से मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई कर रहे छात्रों से इस तरह की शिकायतें मिली हैं कि एम ए द्वितीय वर्ष के वार्षिक परीक्षा के दौरान मीडिया प्रोडक्शन एमएमसी-202 के प्रश्नपत्र में कई प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर के पूछे गए। इस प्रश्नपत्र में पूछे गए ज्यादातर प्रश्नों के बारे में दूरस्थ शिक्षा केन्द्र द्वारा उपलब्ध कराए गए पाठ्य सामग्री में कोई उल्लेख नहीं है। ऐसे कुछ प्रश्न उदाहरण के तौर पर देखे जा सकते हैं -

प्रश्न - 'अपलिंकिंग' की परिभाषा दीजिए। प्रादेशिक संचारण से सेटेलाइट संचरण तक प्रसारण तकनीकी में परिवर्तन का वर्णन कीजिए।

प्रश्न - 'मोडम' की परिभाषा दीजिए। मोडम के विभिन्न प्रकारों के अनुप्रयोगों तथा कार्यों को लिखिए।

प्रश्न - ‘एनिमेशन’ की परिभाषा दीजिए। वर्णन कीजिए कि इसका कार्यान्वयन कम्प्यूटर द्वारा कैसे होता है?


 
यह प्रश्न जहां से पूछे गए हैं, वह दूरस्थ शिक्षा के कोर्स करिकुलम में तो है, लेकिन इस प्रश्नपत्र की पढ़ाई के लिए जो पाठ्य सामग्री छात्रों को उपलब्ध कराई गई है, उसमें इसका कहीं भी जिक्र नहीं मिलता है। जबकि वार्षिक परीक्षा में इन्हीं में से कई प्रश्न छात्रों से पूछे गए। इन प्रश्नों के बारे में कोई जानकारी नहीं होने के कारण ज्यादातर छात्रों को ये प्रश्न छोड़ने पड़े। संगठन छात्रों की तरफ से आप से कुछ प्रश्नों का जवाब चाहता है -



1 - अगर दूरस्थ शिक्षा केन्द्र पाठ्यक्रम निर्माण के दौरान इन प्रश्नों से संबंधित पाठ को अपने करिकुलम में शामिल करता है, तो इसके पढ़ाई के लिए पाठ्य सामग्री क्यों नहीं उपलब्ध कराई गई?
2 - जिन प्रश्नों से संबंधित जानकारी दूरस्थ शिक्षा केन्द्र द्वारा उपलब्ध कराए गए पाठ्य सामग्री में नहीं है, उनसे प्रश्न क्यों पूछे गए?
3 - क्या विश्वविद्यालय व दूरस्थ शिक्षा केन्द्र इस प्रश्नपत्र में ऐसी गलती स्वीकार करता है?
4 - क्या विश्वविद्यालय व दूरस्थ शिक्षा केन्द्र इस प्रश्नपत्र की पुनःपरीक्षा पर विचार कर रहा है। अगर नहीं तो छात्रों के साथ हुई इस तरह की नाइंसाफी की भरपाई के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?

विश्वविद्यालय व दूरस्थ शिक्षा केन्द्र की इस गलती ने हजारों छात्रों का भविष्य संकट में डाला है। इससे विश्वविद्यालय व दूरस्थ शिक्षा केन्द्र की छवि को भी गंभीर क्षति पहुंची है। इसलिए संगठन की आप से मांग है कि इस पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जाए और इसे सार्वजनिक किया जाए। हम आप से यह भी अनुरोध करते हैं कि हमारे शिकायत पत्र पर विश्वविद्यालय व दूरस्थ शिक्षा केन्द्र द्वारा की गई कार्यवाई से भी हमें अवगत कराए।

द्वारा


विजय प्रताप, ऋषि कुमार सिंह, अरुन उरांव, अवनीश राय, नवीन कुमार, अरुन वर्मा

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