Wednesday, February 10, 2010

मीडिया के खतरनाक रुख के खिलाफ एक अभियान

जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) की पहल

साथियों,


‘लाल सलाम’! यह संबोधन पिछले दिनों इलाहाबाद की मीडिया में प्रमुखता से छाया रहा। ‘लाल सलाम’ को एक संगठन के बतौर बताया गया। हालात यहां तक हो गए की इलाहाबाद में बालू माफियाओं के खिलाफ लाल झंडा लिए लाल सलाम के संबोधन करने वाले आंदोलनकारियों की मांगों को दरकिनार कर इन्हें ‘नक्सलवादी’ कह इनके आंदोलनों का दमन किया गया।
जर्नलिस्ट्स यूनियन फाॅर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) के मीडिया मानिटरिंग सेल द्वारा इस प्रक्रिया की लंबे अरसे से जांचा की जा रहा है। संगठन ने जांच के दौरान पाया की इलाहाबाद के समाचार माध्यमों द्वारा लंबे समय से इस पूरे क्षेत्र को नक्सलाइट क्षेत्र घोषित करवाने की होड़ सी मची है। नक्सलाइट क्षेत्र घोषित करवाने की इस होड़ में मीडिया के स्लीपिंग माड्यूलों और खुफिया गठजोड़ का महान संगम है।
इलाहाबाद व कौषम्बी के तराई क्षेत्र में बालू माफियाओं तथा मछुआरों व मजदूरों के बीच अवैध वसूली के खिलाफ टकराव की खबरों को स्ािानीय मीडिया नक्सलवाद के रूप में प्रचारित कर रही है। यह संघर्श पिछले काफी समय से चल रहा है जिसमें समाचार माध्यम पूरी तरह से स्ािानीय बाहुबली नेताओं के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं। ‘लाल सलाम’ का हौव्वा खड़ा कर इस पूरे क्षेत्र को नक्सल प्रभावित क्षेत्र की सूची में लाने साजिश चल रही है, जिससे उसके नाम पर भारी पैमाने में यहां सरकारी पैकेज आए और शासन-प्रशासन उसकी बंदरबाट कर सके। इस पूरे अभियान में मीडिया बालू माफियाओं के प्रतिनिधि के रुप में कार्य कर रही है। अब अगर ‘लाल सलाम’ नाम के संगठन की बात की जाय तो इस नाम का कोई संगठन नहीं है। इस संगठन का नाम खुद बालू माफियाओं ने दिया और मीडिया ने उसे हाथों हाथ लपक कर अपनी जनविरोधी कारगुजारियों का मसाला तैयार कर दिया।
गंगा-यमुना के उपजाऊ क्षेत्र पर बसे इलाहाबाद के दक्षिणी क्षेत्र की यह भौगोलिक विडंबना है कि वहां पठार हैं जो खनन के लिए भले ही सोना उगलने वाली खानें हैं पर चाहे वह सूखा हो या बरसात, आदिवासियों के लिए कुपोषण और महामारी की खानें हैं। नक्सवाद के प्रति सरकारी नजरिया रखने वालों के लिए यह नक्सलवाद की खान भी है।
बात यही समाप्त नहीं होती पिछले कुछ वर्षों से यमुना में बालू खनन को लेकर एक मजबूत आन्दोलन चल रहा है। बालू खनन के लिए बालू माफिया द्वारा मशीनें लगाना बालू मजदूरों को बेरोजगारी और भुखमरी की ओर धकेला जा चुका है। जबकि माननीय न्यायलयों ने अपने कई महत्वपूर्ण निर्देषों में स्पष्ट कहा है कि बालू उत्खनन के लिए मशीनों का उपयोग किसी भी सूरत में न हो।
मई 2008 में इलाहाबाद उच्च न्यायलय के न्यायमूर्ति जनार्दन सहाय और न्यायमूर्ति एस.पी मेहरोत्रा की एक खंडपीठ ने बालू खनन कार्य में मशीनों के चलाये जाने के अधिकार पर एक सुनवाई की जिसमें उसने स्पष्ट निर्देश दिया कि पर्यावरण की सुरक्षा और रोजगार को मद्देनजर रखते हुए बालू खनन के लिए मशीनों का इस्तेमाल न किया जाय। अपने आदेश में न्यायलय ने सरकार सेे बालू माफिया के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने के निर्देष दिए।
यमुना के इस पूरे क्षेत्र में बालू माफियाओं के खिलाफ चल रहे आंदोलन में सीपीआई एमएल न्यू डेमोक्रेसी की अहम भूमिका है। न्यू डेमोक्रेसी के इस आंदोलन को नक्सल गतिविधियों के रुप मे मीडिया द्वारा प्रचारित करने की कोशिश की जा रही है। जबकि न्यू डेमोक्रेसी चुनावी लोकतंत्र में आस्था रखने वाली पार्टी है। इसकी तस्दीक इलाहाबाद से उनके प्रत्याशी हीरालाल का चुनाव लड़ना है।
स्ािानीय स्तर पर ‘लाल सलाम’ का यह हौव्वा पूरे देश में नक्सलवाद के नाम पर किए जा रहे जनांदोलनों का दमन का ही प्रतिरूप है। दमन की इस प्रक्रिया में लोकतंत्र का चैथा स्तंभ सत्ता के स्तंभ के रुप में परिवर्तित हो गया है। इलाहाबाद इसकी एक प्रयोगस्थली है।
जर्नलिस्ट्स यूनियन फाॅर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) ने इलाहाबाद के समाचार माध्यमों में प्रकाषित-प्रसारित फर्जी, निराधार, तथ्यहीन जनआंदोलनों को बदनाम करने के खिलाफ प्रेस कांउसिल आॅफ इंडिया में षिकायत दर्ज कराने का निर्णय लिया है। इससे पहले आप सभी के बीच इन समाचारों की कतरनों को सिलसिलेवार ढंग से सार्वजनिक किया जाएगा। इस बात की जरुरत, इसलिए भी है क्योंकि इलाहाबाद जिला प्रशासन ने इन समाचार पत्रों की कतरनों को गृह मत्रांलय को भेज यहां चल रहे जनांदोलनों को प्रतिबंधित करने की मांग की है। इस समाचार को भी यहां की मीडिया ने गौरवान्वित स्वर में प्रकाषित किया।
ऐसी परिस्थिति में हमारा उद्देष्य इस बात का आकलन करना है कि समाचार माध्यमों में ऐसी खबरें कौन और कैसे छपवा रहा है। हम अपने इलाहाबाद के पत्रकार मित्रों से भी अपील करना चाहेंगे कि वे सस्ती लोकप्रियता (बाई लाइन) की लालच में अपनी नैतिकता को नीलाम न करें। हम उन सभी समाचार माध्यमों से भी अपेक्षा करते हैं कि हमारी रिपोर्टांे को वे गौर कर अपने में सुधार लाने की कोशिश करेंगे।

द्वारा जारी-
जर्नलिस्ट्स यूनियन फाॅर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस)
राज्य कार्यालय-
631/13, शंकरपुरी कालोनी,
कमता चिनहट, लखनऊ,
उत्तर प्रदेश

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