Monday, May 3, 2010

निरुपमा पाठक हत्या मामले में मानवाधिकार आयोग को पत्र

प्रति
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
फरीदकोट हाउस,नई दिल्ली


विषयःपत्रकार निरुपमा पाठक की हत्या की उच्चस्तरीय जांच की मांग

महोदय,
      युवा पत्रकार निरुपमा पाठक की 29 अप्रैल को उसके गृहनगर झारखंड के कोडरमा में हत्या कर दी गई थी। पोस्टमार्टम में इस बात के स्पष्ट सबूत हैं कि उसकी हत्या गला घुटने से हुई है। जबकि निरुपमा के परिजनों ने शुरूआती दौर में निरुपमा की मौत की वजह करंट लगना बतायी थी और स्थानीय पुलिस प्रथम दृष्टया फांसी लगाकर आत्महत्या की बात कही थी। निरुपमा के कमरे से पुलिस ने एक सुसाइड नोट भी बरामद किया था। 22 वर्षीय निरुपमा पाठक पुत्री धर्मेंद्र पाठक देश के प्रतिष्ठित भारतीय जनसंचार संस्थान(आईआईएमसी) के रेडियो-टेलीविजन पत्रकारिता वर्ष 2008-09 की छात्रा थी और पिछले एक वर्ष से दिल्ली स्थित अंग्रेजी दैनिक बिजनेस स्टैंडर्ड में कार्यरत थी।
   निरुपमा की हत्या का मामला ऑनर किलिंग का है। निरुपमा के मित्रों का कहना है कि उसके घरवालों को निरुपमा के विजातीय लड़के से विवाह करने के फैसले पर ऐतराज था। घरवालों ने निरुपमा को एक षडयंत्र के तहत मां के बीमार  होने की झूठी सूचना देकर घर बुला लिया। निरुपमा को 28 अप्रैल को वापस दिल्ली लौटना था, लेकिन घरवालों ने उसे दिल्ली आने से जबदस्ती रोका। इस दौरान निरुपमा को किसी से भी सम्पर्क नहीं करने दिया। 29 अप्रैल को निरुपमा ने सहपाठी रहे पत्रकार प्रियभांशु को बताया कि यह हम दोनों की आखिरी बातचीत है, परिवारवाले मुझे दिल्ली नहीं आने दे रहे हैं। भैया के दोस्त मुझपर नज़र बनाए हुए हैं।(देखें-दैनिक हिंदुस्तान,03मई,10) उसी दिन (29 अप्रैल 2010) निरुपमा अपने कमरे में मृत पायी गई थी।
    लिहाजा हम आयोग से ऑनर किलिंग के इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं। ताकि निरुपमा को न्याय मिल सके। साथ ही हम आयोग से यह भी मांग करते है कि देश में जिस तरह सामाजिक परम्परा की दुहाई देकर या प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाकर युवक-युवतियों की हत्या की जा रही है, उस पर अंकुश लगाने के लिए आयोग और राज्य सरकारों को निर्देशित करे।
  समाज में युवाओं को मनपसंद के जीवनसाथी चुनने के अधिकार की रक्षा की जाये और ऐसे युवाओं को पूरी सुरक्षा मुहैय्या करायी जाये, ताकि किसी और निरुपमा पाठक की ऑनर किलिंग के नाम पर हत्या ना हो। इसके लिए देश में ऑनर किलिंग को रोकने के लिए एक कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए।



                                                                          भवदीय
ऋषि कुमार सिंह, विजय प्रताप, नवीन कुमार, चंदन शर्मा, अवनीश राय, अभिषेक रंजन सिंह, अरुण कुमार उरांव, प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, सौम्या झा, राजीव यादव, शाह आलम, विवेक मिश्रा, रवि राव, प्रिया मिश्रा, शाहनवाज़ आलम, राकेश, लक्ष्मण प्रसाद, अनिल, देवाशीष प्रसून, चंद्रीका, संदीप, प्रवीण मालवीय, ओम नागर, श्वेता सिंह, अलका देवी, नाज़िया, पंकज उपाध्याय, तारिक़, मसीहुद्दीन संजरी, राघवेंद्र प्रताप सिंह व अन्य।

जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसायटी(जेयूसीएस) ई-36,गणेशनगर,नई दिल्ली-92 की तरफ से जारी

  

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