Thursday, May 6, 2010

संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए चलेगा आंदोलन - जेयूसीएस


नई दिल्ली 6 मई वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने कहा कि कानून महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि उसकी व्याख्या महत्वपूर्ण होती है। हम एक ऐसे समय में हैं जब कानून की व्य़ाख्या समाज के एक विशेष तबके के हितों के पक्ष में की जा रही है। वे गुरूवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में आयोजित एक बैठक को संबोधित कर रहे थे।


 बैठक का आयोजन निरूपमा पाठक की याद में जर्नलिस्ट यूनियन फार सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) व जामिया के छात्रों की तरफ से किया गया था। निरूपमा की पिछले दिनो उनके गृहनगर कोडरमा में विजातिय लड़के से शादी के फैसले के बाद हत्या कर दी गयी थी। 

       अनिल चमड़िया ने कहा कि नब्बे के दशक के बाद ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति बढी है। आए दिन लड़कियों के भागने,उनके अपहरण होने और अंतर्जातीय विवाह की खबरें आती रहती हैं। इस तरह की शादी करने वाले लड़के लड़कियां अपनी सुरक्षा के लिए अदालतों के चक्कर काटते रहते हैं। अदालतें कुछ मामलों में तो सुरक्षा का प्रावधान कर देती हैं लेकिन यह समस्या का हल नहीं है।

बैठक को संबोधित करते हुए पत्रकार और भारतीय जनसंचार संस्थान में पत्रकारिता शिक्षा से जुड़े दिलीप मंडल ने कहा कि वर्तमान में पितृसत्तात्मक समाज का आधुनिकता से टकराव चरम पर पहुंच गया है। इस समय जाति व्यवस्था भयंकर दबाव के दौर से गुजर रही है, जिसका परिणाम इस तरह की घटनाओं के रूप में सामने आ रहा है।


 माता पिता अपनी संतानो को उच्च शिक्षा और जीवन के बेहतर विकल्प तो मुहैया करा रहे हैं लेकिन जब वे जीवन साथी चुनने के स्तर पर जाति या धर्म के बंधन को तोड़ने की कोशिश करते हैं तो उन्हें सनातन धर्म का हवाला देकर पीछे खींचने की कोशिश की जाती है, जिसका नतीजा किसी एक की मौत या फिर खाप पंचायतों के बर्बर फैसलों के रूप में दिखाई देता है।

     इससे पहले छात्रों ने निरूपमा पाठक को याद करते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग की।


     जेयूसीएस के अवनीश राय ने कहा कि संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए लंबा आंदोलन चलाया जाएगा। जामिया के छात्र गुफरान ने कहा कि संविधान सभी को अपनी इच्छा से जीवनसाथी चुनने का अधिकार देता है लेकिन युवाओं को इस अधिकार की रक्षा के लिए हाइकोर्ट की शरण लेनी पड़ती है।
     
      इस मौके पर अकरम अख्तर ने कहा कि यह आनर किलिंग नहीं बल्कि हारर कीलिंग है। अब जरूरत इस बात की है कि इस संबंध में इस तरह का आंदोलन खड़ा किया जाए ताकि सरकार इस संबंध में कोई कानून बनाने को बाध्य हो।  बैठक में भारतीय जनसंचार संस्थान और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्रों नें भी अपनी बात रखी।




भवदीय





शाहआलम, विजय प्रताप, अवनीश राय,ऋषि कुमार सिंह, नवीन कुमार, चंदन शर्मा,  अभिषेक रंजन सिंह, अरुण कुमार उरांव, प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, सौम्या झा, राजीव यादव, शाह आलम, विवेक मिश्रा, रवि राव, प्रिया मिश्रा, शाहनवाज़ आलम, राकेश, लक्ष्मण प्रसाद, अनिल, देवाशीष प्रसून, चंद्रीका, संदीप, प्रवीण मालवीय, ओम नागर, श्वेता सिंह, अलका देवी, नाज़िया, पंकज उपाध्याय, तारिक़, मसीहुद्दीन संजरी, राघवेंद्र प्रताप सिंह व अन्य।

द्वारा
  विजय प्रताप
  सम्पर्क-09015898445,09313129941
     ई-मेलः    jucsindia@gmail.com

जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसायटी(जेयूसीएस) ई-36,गणेशनगर,नई दिल्ली-92 की तरफ से जारी

No comments:

Post a Comment

vijai.media@gmail.com,media.rajeev@gmail.com,avaneeshrai@gmail.com,rishi2585@gmail.com