विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही के खिलाफ आंदोलन और भूख हड़ताल कर रहे छात्रों ने कुलपति नजीब जंग के सामने अपनी मांगे रखी हैं।उनका कहना है कि मास मीडिया के छात्र एवं छात्राएं विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे व्यवहार को लेकर दुखी है। अपनी नाराजगी को जाहिर करने के लिए संवैधानिक लोकतंत्र में दिए गए अधिकारों का उपयोग करते हुए आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें संविधान के अधिकारों का उपयोग करने से रोकने की हरसंभव कोशिश कर रहा है।छात्रों ने इसकी इसकी निंदा की है और साथ ही ये साफ कर दिया है कि वे अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन करते रहेंगे।
छात्रों का कहना है कि मास मीडिया के कोर्स के स्वभाव और प्रकृति और विश्वविद्यालय की इसके बारे में समझ में एक दूरी बनी हुई है। मास मीडिया के कोर्स के बारे में शायद यह बुनियादी समझ भी गायब है कि इस कोर्स के जरिये उन्हें लोकतंत्र की सुरक्षा और उसे मजबूत करने के उद्देश्य से पीढ़ी तैयार करनी है। मास मीडिया के छात्र छात्राएं पहले तो इस बात को लेकर दुखी है कि विश्वविद्यालय उसके कई विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होने से रोक रहा है। इनमें ज्यादातर छात्राएं हैं। हमने मास मीडिया के कोर्स के स्वभाव और प्रकृति के अनुकूल बड़ी मेहनत से परीक्षा के लिए खुद को तैयार किया है। उन्होने मांग की है कि वीसी तत्काल सभी विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान करें। इस कोर्स के विद्यार्थियों के बारे में कहा जा रहा है कि वे एक न्यूनतम संख्या में कक्षाओं में उपस्थित नहीं रहे हैं। जबकि छात्रों का कहना है कि हमने व्यवहारिक तौर पर अधिकतम कक्षाएं की है। कक्षाओं में तकनीकी तौर पर उपस्थिति नहीं होने के कई कारण हो सकते हैं। एक निश्चित समय में चलने वाली कक्षाओं के समय में विद्यार्थियों को शारीरिक , पारिवारिक, सामाजिक ऐसी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं जिन्हें तत्काल नजरअंदाज किया जाना संभव नहीं होता है। मास मीडिया के कई विद्यार्थी तकनीकी जरूरत के तौर पर अपना मेडिकल प्रमाण पत्र भी दिया हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन उसे लेने से इंकार कर दिया। छात्रों ने इसे विश्वविद्यालय की तानाशाही करार दिया है। जामिया के पत्रकारिता विभाग के छात्रों की इन मांगो का जर्नलिस्ट यूनियन फार सिविल सोसायटी ने भी समर्थन किया है।
छात्रों की मांगे निम्नलिखित हैं।1) मास मीडिया के सभी विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए।
2) मास मीडिया के कोर्स की प्रकृति और स्वभाव की समझ विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
3) मास मीडिया के कोर्स के अब तक के अनुभव और बदलती हुई परिस्थितियों में उनकी उपयोगिता का मूल्यांकन किया जाए।
4) मास मीडिया कोर्स के व्यवहारिक पक्ष पर जोर दिया जाए।
5) मास मीडिया के विद्यार्थियों के साथ हर तीन महीने पर कुलपति के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू किया जाए।
6) मास मीडिया की दुनिया से विद्यार्थियों के लगातार संपर्क में रखने के उद्देश्य से एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन सुनिश्चित किया जाए।
7) मास मीडिया के विद्यार्थियों का दूसरे विषयों के विद्यार्थियों के साथ संवाद की कक्षाएं आयोजित की जाए।
8) मास मीडिया की जो पुस्तकें कक्षा में पढ़ाई जाती है उनकी उपयोगिता का मूल्यांकन किया जाए।
9) मास मीडिया में महात्मा गांधी नरेगा जैसे कार्यक्रमों को शामिल किया जाए। ग्रामीण अंचलों में सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों का अध्ययन करने के लिए विद्यार्थियों के दौरे की कक्षाएं अनिवार्य की जाए।
जामिया के छात्रों और जर्नलिस्ट यूनियन फार सिविल सोसाईटी (jucs) की तरफ से जारी
शाहआलम, अली अख्तर, गुफरान,शारिक, अवनीश राय, विजय प्रताप, ऋषि कुमार सिंह, फहद हसन,उदयन विश्वास,आरहन सेठ,डेजी डेका, कजरी अख्तर,नाबिला जेहरा जैदी,ओलिम्का यफ्तो,सबा रहमान,सना जमाल, सानिया अहमद,स्मृति दीवान,सुर्पना सरकार, राघवेंद्र प्रताप सिंह, अरूण कुमार उरांव,प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, विवेक मिश्रा, राकेश, देवाशीष प्रसून, दीपक राव, प्रवीण मालवीय, ओम नागर, तारिक, मसीहुद्दीन संजरी, वरूण, मुकेश चौरासे,.शाहनवाज आलम, नवीन कुमार,
9873672153, 9910638355, 9313139941, 09911300375
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