Tuesday, June 1, 2010

भारतीय प्रेस परिषद को पत्र


प्रति
सचिव,
भारतीय प्रेस परिषद
सूचना भवन, 8-सी.जी.ओ. कॉम्पलेक्स
लोदी रोड, नई दिल्ली-110003
महोदय,
 जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएसकी तरफ से हम आपका ध्यान पिछले दिनों हिंदीदैनिक 'पत्रिकाके जबलपुर संस्करण से युवा पत्रकार दीपक को बिना किसी नोटिस के संस्थान से बाहरनिकले जाने की घटना के तरफ आकृष्ट करना चाहते हैं। पत्रिका में प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में दीपक पिछले महीनों से कार्य कर रहे थे । संस्थान  में उन्हें रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी दी गई थी,लेकिन इससे इतर उनसे रोजाना के अख़बार की समीक्षा भी कराई जाती थी। संस्थान में उनसेप्रतिदिन 14- 15 घंटे काम लिया जाता था।  एक प्रशिक्षु के रूप में  न तो उन्हें नियमानुसार वेतनमानदिया जाता था और न ही समीक्षा जैसे अतिरिक्त काम के लिए कोई मानदेय दिया जाता था। दीपक ने एक खबर बनाने के दौरान राज्यपाल के नाम से पहले 'महामहिमलिख दिया। इस बात को लेकर स्थानीय सम्पादक ने उन्हें अगले दिन से न आने और अपना हिसाब कर लेने को कह दिया। गौरतलब है कि उसी अख़बार में रोजाना ऐसी दर्जनों शाब्दिक गलतियाँ देखने होती हैं। ऐसे में केवल एक प्रशिक्षु को,जो वहां सीखने के लिए गया था, जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं लगता है।
   विभिन्न समाचार संस्थानों में दीपक जैसे सैकड़ों युवा-प्रशिक्षु पत्रकारों से 12 - 14 घंटे काम लिया जारहा है। इसके बदले उन्हें जो वेतनमान या मानदेय दिया जाता है वह उनकी मेहनत का आधा भी नहींहोता है। साथ ही इन संस्थानों में श्रम कानूनों के उल्लंघन का खेल लम्बे समय से चल रहा है। देर राततक कार्य करने वाले कर्मचारियों को  तो कोई रात्रि भत्ता दिया जाता है,न ही ऐसे कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाएं ही दी जाती हैं। कई मीडिया संस्थानों में रिपोर्टिंग का कार्य करने वाले प्रशिक्षुओं को यात्राऔर फोन भत्ता भी नहीं दिया जाता है। ऐसे में उन्हें अपने वेतन से ही सारा खर्चे करना पड़ता है।पत्रकारिता का प्रशिक्षण पाने के बाद बड़ी संख्या में युवा इन मीडिया संस्थानों में नौकरियों के लिए चक्कर कटते हैं। जो संस्थान इन्हें अपने यहाँ काम पर रखते हैं,वे कर्मचारी की बजाय एक ऐसे नौकर के रूप मेंरखते हैं,जिसका संस्थान के रिकार्ड में कोई ब्यौरा नहीं होता है। ऐसा करके मीडिया संस्थान न केवल इन युवाओं न्यूनतम मानदेय से वंचित रखते हैं,बल्कि गैर कानूनी रूप से रोजाना अधिक समय तक काम लेते हैं। 

ऐसे में संगठन की प्रेस परिषद् से  मांग है की -

1 - प्रशिक्षु पत्रकार दीपक के मामले को संज्ञान में लेकर इस मामले की जाँच कराए और बिना किसीनोटिस के एक पत्रकार को नौकरी से निकलने के मामले में अख़बार के संपादकस्थानीय संपादक औरप्रबंधक के खिलाफ जरुरी कार्रवाई करें।
2 - मीडिया संस्थानों में प्रशिक्षु पत्रकारों की नियुक्तियों  के सम्बन्ध में साफ-सुथरी नीति बनाई जाएपरिषद् यह भी सुनिश्चित करे कि ऐसी सभी नियुक्तियों के मापदंड और बर्खास्तगी के कारणों कोसार्वजनिक किये जाएं।
3 –मीडिया संस्थानों में श्रम कानूनों के खुलेआम उल्लंघन के मामलों की भी जाँच कराई जाए। साथ हीअन्य समाचार संस्थानों में कार्यरत प्रशिक्षु-अंशकालिक-श्रमजीवी पत्रकारों के वेतनसुविधावों और कार्य कीपरिस्थितियों का आकलन कराया जाए।
4 - मीडिया संस्थानों में आंतरिक लोकतंत्र की बहाली के उपाय किया जाएं।

द्वारा-
विजय प्रताप, ऋषि कुमार सिंह, अवनीश कुमार राय, नवीन कुमार,शाह आलम, अली अख्तर, मुकेश चौरासे, चंदन शर्मा,राजीव यादव, अंशुमाला सिंह, अभिषेक रंजन सिंह, अरुण कुमार उरांव, प्रबुद्ध गौतम, अर्चना महतो, सौम्या झा, विवेक मिश्रा, रवि राव, प्रिया मिश्रा, शाहनवाज़ आलम, राकेश, लक्ष्मण प्रसाद, अनिल, देवाशीष प्रसून, चंद्रिका, संदीप, ओम नागर, श्वेता सिंह, अलका देवी, नाज़िया, पंकज उपाध्याय, तारिक़, मसीहुद्दीन संजरी, राघवेंद्र प्रताप सिंह व अन्य।

जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) ई-36,गणेशनगर,नई दिल्ली-92

प्रति सम्प्रेषित
1.भुवनेश जैन, सम्पादक, पत्रिका
2.सिद्धार्थ भट्ट, स्थानीय सम्पादक,पत्रिका,जबलपुर

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